चीन बॉर्डर से लगे उत्तराखंड के इस गांव का कभी भी मिट सकता है नामों निशान

चीन बॉर्डर से लगे उत्तराखंड के इस गांव का कभी भी मिट सकता है नामों निशान

जोशीमठ : हर साल उत्तराखंड में मानसून (Monsoon In Uttarakhand) अपने साथ खतरा भी साथ लाता है. बारिश होते ही कई गांव और कस्बों में आफत टूट पड़ती है. ऐसा ही कुछ चीन (China Border) सीमा से लगे पिथौरागढ़ (Pithoragarh) जिले का तिदांग गांव (Tidang Village) के साथ होता है. जो बारिश और पिघलते ग्लेशियर के चलते दरकता जा रहा है. तिदांग गांव पिथौरागढ़ जिले के दारमा घाटी में स्थित है. तिदांग गांव प्रकृति सुंदरता से भरा है. बारह हजार फीट की ऊंचाई स्थित ये गांव पहले नदी से 80 फीट ऊंचा हुआ करता था. लेकिन अब गांव के नीचे बहने वाली धौली नदी हर साल गांव को नीचे से काट रही है. बरसात में ये कटाव और तेज हो जाता है. गांव को दाएं और बाएं तरफ से ग्लेशियर अपनी चपेट में ले रहा है. जिसके चलते हर साल नदी और ग्लेशियर के साथ बह कर आने वाले भारी मलबे से गांव नदी के करीब पहुंच गया है.

तिदांग गांव ने दिया पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर

तिदांग के पूर्व प्रधान रमेश तितयाल का कहना है कि उन्होंने कई बार नेताओं और अधिकारियों से गांव को बचाने की गुहार लगाई है. लेकिन कुछ नहीं हुआ. तिदांग गांव कई मायनों में खास है. भारत सरकार की ओर से पद्मश्री से सम्मानित किए गए मसहूर नेत्र सर्जन डॉ. जीवन सिंह तितयाल इसी गांव से संबंध रखते हैं. इतनी बड़ी हस्ती से जुड़ा होने के बाद भी तिदांग गांव अपने अस्तित्व खोने की कगार पर है.

सीमांत जिले पिथौरागढ़ में बारिश ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. पिछले कुछ दिनों से जिले के मुनस्यारी, धारचूला समेत कई क्षेत्र में मूसलाधार बारिश से नदी नाले उफान पर आ गए. जिसके बाद तिदांग गांव के स्थानिय लोगों को डर है कि कहीं ऐसे में गांव पर फिर आफत न बरस जाए और गांव का नामों निशान न मिट जाए.

 

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