चहेते अफसर को फिर से सेट करने के लिए शासनादेश की उड़ाई धज्जियां
चहेते अफसर को फिर से सेट करने के लिए शासनादेश की उड़ाई धज्जियां
देहरादून: उत्तराखंड नौकरशाहों का स्वर्ग यूं ही नहीं कहा जाता। नौकरशाही को अपनी जड़ें जमाने और फैलाने के लिए जिस खाद-पानी की जरुरत होता है वह यहां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। नौकरशाह यहां के हित में कितना सोचते हैं या सोच चुके हैं ये तो 20 साल का उत्तराखंड खुद बताता ही रहता है लेकिन अपने हित में और रिटायर हो चुके अफसरों के भी बारे में कितना सोचते हैं ये आज आपको फिर से बताते हैं। किस तरह मुख्यमंत्री तक के आदेशों को धता बता कर अपने चहेते अफसरों को सेट करने का खेल चल रहा है ये आप भी जान लीजिए। ताजा मामला सिडकुल का है। सिडकुल को बनाया तो उत्तराखंड के उद्योगों के विकास लिए था लेकिन यह उद्योगों के विकास से ज्यादा घोटालों और भ्रष्टाचार के लिए ही अधिक चर्चा में रहता है। यहां के भारी भरकम तनख्वाह और एशोआराम के पदों पर नौकरशाहों की निगाहें बनी ही रहती हैं। हाल ही में सिडकुल के एमडी की ओर से डाइरेक्टर (प्लानिंग) के लिए विज्ञप्ति जारी की गई है। तीन साल की संविदा और भारी भरकम वेतन वाले इस पद के लिए अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष रखी गई है। यानी 65 वर्ष की उम्र में इस पद पर नियुक्त होने वाला व्यक्ति 68 साल में रिटायर होगा। खैर मुद्दा ये नहीं है। असल मुद्दा तो यह है कि इस पद के लिए 65 साल की अधिकतम आयु सीमा खुद उत्तराखंड सरकार के शासनादेश को धता बताते हुए तय की गई है। 8 सितंबर 2020 को अपर मुख्य सचिव की ओर से जारी किए गए शासनादेश संख्या XXX (2)/ 2020 / 30 (1)/2012 में स्पष्ट कहा गया है कि जिन विभागों के अंतर्गत अधिवर्षता आयु सामान्य अधिवर्षता आयु से अधिक है अर्थात 62 वर्ष या उससे अधिक हो ऐसे कार्मिकों को पुनर्नियुक्ति किसी भी दशा में न दी जाए।
शासनादेश में यह भी कहा गया है कि विशेष परिस्थिति में पुनर्मनियुक्ति के प्रस्ताव कार्मिक विभाग की सहमति हेतु संदर्भित किए जाएं। किसी भी दशा में कार्मिक एवं सतर्कता विभाग की सहमति के बिना पुनर्नियुक्ति नहीं की जा सकेगी और यह भी केवल 6 माह या अधिकतम 1 साल के लिए होगी।
चूंकि सिडकुल भी उत्तराखंड सरकार के उद्योग विभाग के अंतर्गत आता है तो फिर यह शासनादेश यहां लागू होता है। फिर इस विज्ञप्ति को निकालने का वैध आधार तो दिखाई नहीं पड़ता, तो क्या यह नियम एक बार मौज काटने के बाद साल भर का एक्सटेंशन निपटाने के बाद अब एक बार फिर से दोबारा तीन साल के लिए फिर से कुरसी पर काबिज होने के लिए तो नहीं किया जा रहा है।
ये है विज्ञप्ति
ये है शासनादेश
Share this content: