राष्ट्रपति मुर्मू का पहला संबोधन: ‘मेरे निर्वाचन में गरीब का आशीर्वाद, बेटियों का सामर्थ्य व महिलाओं के सपने’

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्र के नाम पहले संबोधन में कहा, मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं जिसका जन्म आजाद भारत में हुआ है। प्रगतिशील भारत का नेतृत्व करते हुए आज मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं।

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शपथ ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपना पहला संबोधन दिया। इस दौरान उन्होंने सभी देशवासियों का आभार जताया। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है।

उन्होंने कहा, मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा। ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।

यह भारतवर्ष की महानता 
राष्ट्रपति ने कहा, मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं, जिसका जन्म आजाद भारत में हुआ है। मैं जनजातीय समाज से हूं और वार्ड कौन्सिलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है। ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। राष्ट्रपति के पद तक पहुँचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है।
हमें तेज गति से काम करना है
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के दौरान कहा, हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है। इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा- सबका प्रयास और सबका कर्तव्य।

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