कॉलेजियम द्वारा रॉ-आईबी की रिपोर्ट का खुलासा ‘संवेदनशील’ नहीं, बेवजह मामले को तूल दे रहे रिजिजू
मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने आरोप लगाया था कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) की संवेदनशील रिपोर्ट के कुछ हिस्से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सार्वजनिक डोमेन में डाल दिए गए।
जजों की नियुक्ति को लेकर बनाए गए कॉलेजियम पर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है। कानून मंत्री किरण रिजिजू ने मंगलवार को कॉलेजियम द्वारा देश की खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट्स को सार्वजनिक करने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि कहा- यह देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। वहीं अब रिजिजू के बयान पर पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने निशाना साधा है और कहा है कि रिजिजू बेवजह मामले को तूल दे रहे हैं।
चिदंबरम बोले- कानून मंत्री बेवजह मामले को तूल दे रहे
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि देश की सुरक्षा की खंडता को खतरा पहुंचाने वाली कोई भी संवेदनशील सामग्री सामने नहीं आई है। चिदंबरम ने कहा कि कॉलेजियम ने केवल जजों की नियुक्ति पर केंद्र की प्रतिक्रिया को सामने रखा है तो इसमें किस तरह का खतरा। रिजिजू बेवजह मामले को तूल दे रहे हैं। लोगों को यह जानने का पूरा अधिकार है कि केंद्र ने कॉलेजियम द्वारा रखे गए नामों को किस तरह से ‘मनमाने’ आधार पर खारिज कर दिया।
केंद्र ने क्यो दिया रॉ-आईबी की रिपोर्ट्स का हवाला?
दरअसल, यह मामला समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट में नियुक्त करना चाहता है, लेकिन केंद्र ने कृपाल के नाम पर आपत्ति दर्ज कराई थी। केंद्र ने इसके लिए खुफिया एजेंसी रॉ-आईबी की रिपोर्ट का हवाला दिया था। इस रिपोर्ट में समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल के विदेशी पार्टनर को लेकर सवाल खड़ा किया गया है। लेकिन इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पिछले हफ्ते पहली बार जजों के बारे में दी गईं केंद्र की आपत्तियों और रॉ-आईबी की रिपोर्ट्स को सार्वजनिक कर दिया था। इसके बाद कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि इस तरह से रॉ-आईबी की रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में लाना देश के लिए खतरा है।
जानें क्या है मामला?
दरअसल, मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने आरोप लगाया था कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) की संवेदनशील रिपोर्ट के कुछ हिस्से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सार्वजनिक डोमेन में डाल दिए गए। खुफिया एजेंसी के अधिकारी देश के लिए गुप्त तरीके से काम करते हैं और अगर उनकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाती है तो वे भविष्य में इसे लिखने पर दो बार सोचेंगे। यह गंभीर चिंता का विषय है।
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