केदारनाथ मंदिर – सोची-समझी साजिश के तहत ऐसे घटिया आरोप लगाए जा रहे कि सोना पीतल में तब्दील हो गया ….यात्रा को प्रभावित करने के लिए फैलाया जा रहा है भ्रम…

kedarnath mandir

केदारनाथ मंदिर के पुजारी संतोष त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि कुछ महीनों पहले, केदरानाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोना चढ़ाने का काम किया गया था.ओर अब वो सोना पीतल में बदल गया था. उन्होंने कहा कि केदारनाथ में सोने के नाम पर ये 125 करोड़ रुपए का घोटाला है वही दूसरी तरफ BKTC ने इन आरोपों को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि, ये मंदिर प्रबंधन को बदनाम करने की साजिश है. इसमें शामिल लोगों के खिलाफ हम कानूनी कार्रवाई करेंगे. वही पुजारी के इस आरोप पर BKTC ने भी अपना बयान जारी किया है.समिति ने कहा कि “2005 में इसी दानदार ने बद्रीनाथ मंदिर के गर्भगृह को भी सोने से जड़वाने का काम कराया था. लेकिन अभी एक सोची-समझी साजिश के तहत ऐसे घटिया आरोप लगाए जा रहे हैं. ये सब जानते हैं कि यात्रा में अच्छी व्यवस्थाओं के चलते यात्रियों की संख्या काफी बढ़ी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ये व्यवस्थाएं हो पाई हैं. श्रद्धालुओं की संख्या रिकॉर्ड तौर पर बढ़ी हैं, खासकर केदारनाथ में. छोटे राजनैतिक तत्वों को ये बात पसंद नहीं आ रही है. ये ही लोग यात्रा को प्रभावित करने के लिए भ्रम फैला रहे हैं. ये केदारनाथ धाम की छवि खराब करना चाहते हैं…

नियम के तहत दिया गया दान –  वही मंदिर समिति ने बताया कि दान देने वाले व्यापारी को नियम के तहत ही अनुमति दी गई थी. बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम, 1939 में इस तरह के दान देने की छूट है. दानदाता ने 230 किलोग्राम सोना दान किया है. केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोना चढ़ाने की उसकी लंबे समय से इच्छा थी. इस फैसले को राज्य सरकार ने भी माना था. भारत पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में ही सोने की परत चढ़ाने का काम किया गया है. समिति ने आगे बताया कि,
“पीतल की प्लेट्स से लेकर सोने की परत चढ़ाने तक का काम दानदाता ने खुद अपने ज्वैलर्स से कराया है. दानदाता ने खुद ही सोना खरीदा. उसी ने मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़वाई. मंदिर समिति की इसमें कोई सीधी भूमिका नहीं थी. दानदाता ने सोने और पीतल की खरीद की रसीदें BKTC में जमा कराई हैं. नियम के अनुसार, इन्हें हमारी स्टॉक बुक में दर्ज भी किया गया है.”

मंदिर समिति ने ये भी बताया कि दानदाता ने उनके सामने कोई शर्त नहीं रखी थी. उसने अपना नाम भी उजागर करने से मना किया है. न ही उसने इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80जी के तहत सर्टिफिकेट मांगा.

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