ऋषिकेश का अनोखा स्कूल: गरीब बच्चों की पढ़ाई फ्री, यूनिफॉर्म के साथ मिलती हैं ये सुविधाएं
ऋषिकेश: उत्तराखंड के ऋषिकेश के ज्ञान करतार पब्लिक स्कूल में गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है. इस स्कूल में उन बच्चों का एडमिशन होता है, जिनके माता-पिता फीस भरने में असमर्थ हैं. बता दें कि गोविंद सलूजा ने अपनी मां के निधन के बाद अपने पिता का एकाकीपन दूर करने के लिए आश्रम बनाया था. इसके बाद उनके दिमाग में ऐसे बच्चों का ख्याल आया जोकि गरीबी और लाचारी के कारण स्कूल की चौखट तक नहीं पहुंच पाते. ऐसे ही बच्चों के लिए उन्होंने ज्ञान करतार पब्लिक स्कूल की स्थापना की.
न्यूज़ 18 के साथ हुई बातचीत के दौरान गुरविंदर सलूजा ने बताया कि वे एक बिजनेसमैन हुआ करते थे. सन 2014 में उन्होंने ऋषिकेश के शीशम झाड़ी में ज्ञान करतार आश्रम का निर्माण किया. इसके बाद उनके दिमाग में गरीब बच्चों का ख्याल है. साथ ही बताया कि आश्रम बनाने के बाद से उनका ऋषिकेश आना लगा रहता था. तब उन्होंने पढ़ाई की उमर में बच्चों को बाहर घूमता पाया, तो उनसे पूछा कि वे स्कूल के समय में ऐसे क्यों खेल रहे हैं. तब उन्हें यह पता चला कि उनके माता पिता उन्हें पढ़ाने में असमर्थ हैं. उसके बाद सन 2018 में उन्होंने इन बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के लिए स्कूल का निर्माण किया.
माता-पिता के नाम से खोला स्कूल
ज्ञान करतार पब्लिक स्कूल के मालिक गुरविंदर सलूजा ने बताया कि मां करतारदई के निधन के बाद अपने पिता के नाम से ज्ञान और माता के नाम से करतार शब्द लेकर इस स्कूल का नाम रखा. साथ ही बताया कि 14 सितंबर 2018 को इस स्कूल की स्थापना की तो 37 बच्चों को दाखिल करवाया. उसके बाद से वे हर साल करीब 50 बच्चों को इस स्कूल में दाखिला करवाते हैं. अभी वर्तमान में स्कूल में करीब 200 बच्चे पढ़ रहे हैं. इस स्कूल में एलकेजी से लेकर चौथी तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है.
नि:शुल्क शिक्षा के साथ बहुत कुछ भी मिलता है
गुरविंदर सलूजा ने बताया कि स्कूल की ओर से ना केवल नि:शुल्क शिक्षा बल्कि इन बच्चों को साल में दो बार फ्री स्कूल यूनिफॉर्म, एडमिशन के समय एक बैग, हर साल नई किताबें और दिन के समय खाने को फल दिए जाते हैं. वहीं, इन बच्चों को पढ़ाने के लिए योग्य 10 शिक्षक, 4 हेल्पिंग स्टाफ और प्रिंसिपल है. उसके साथ ही बच्चों के लिए यहां लाइब्रेरी, कंप्यूटर क्लास और प्ले ग्राउंड की सुविधा भी उपलब्ध है. साथ ही बताया कि वह अपने स्कूल में उन्हीं बच्चों को दाखिला करवाते हैं जिनके माता-पिता महीने का केवल 10 हजार कमाते हैं.
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