सड़क और घरों से समय पर नही उठ रहा कूड़ा ऐसे मे रैकिंग कैसे सुधरेगी ?

नगर निगम ने स्वच्छता मामले में देशभर के शीर्ष 50 शहरों में शामिल होने का लक्ष्य तय किया है, लेकिन यह काम बड़ी चुनौती है, क्योंकि सफाई व्यवस्था की स्थिति अब तक कुछ बदली नहीं है।

प्रति वर्ष, स्वच्छता सर्वेक्षण के अन्तर्गत शहरों की रैंकिंग तय की जाती है, जिसके लिए केंद्रीय टीम शहरों की सफाई का मूल्यांकन करती है। इसके लिए विभिन्न मानकों का पालन किया जाता है और फिर शहरों को अनुसार रैंकिंग दी जाती है। पिछले वर्ष, देहरादून नगर निगम ने 13 स्थान की छलांग लगाकर देशभर में 69वीं रैंक हासिल की थी। लेकिन इस बार, इस प्रेरणा से काम करना नगर निगम के लिए मुश्किल साबित हो रहा है।

नगर निगम ने कूड़ा उठाने के लिए तीन कंपनियों को अलग-अलग वार्डों में नियुक्त किया है, लेकिन अधिकांश वार्डों में कूड़ा उठाने के वाहन नहीं पहुंचते हैं। इसके परिणामस्वरूप, लोग सड़कों, खाली प्लाटों, जंगलों, और नदियों में कूड़ा फेंकते हैं। इसके बावजूद, सड़कों पर कूड़े के ढेर लगे रहते हैं और घरों से कूड़ा उठाने की प्रवृत्ति नहीं बदली है।

ट्रांसफर सेंटर में भी कई दिनों तक जमा रहता है कूड़ा

दून में शहर भर से करीब पांच सौ टन कूड़ा एकत्रित होता है। जिसे कारगी स्थित कूड़ा ट्रांसफर सेंटर में भेजा जाता है। यहां से फिर उसे शीशमबाड़ा भेजा जाता है। लेकिन ट्रांसफर सेंटर में भी कई दिनों तक कूड़े का ढेर लगा रहता है। जिससे उठने वाले दुर्गंध से आसपास के लिए नासूर बना हुआ है।

“नगर निगम को टॉप-50 शहरों में शामिल करने का लक्ष्य है। घर-घर से कूड़ा उठान व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, जिसे सुधारने के लिए कठिन कदम उठाए जा रहे हैं। नगर निगम अधिकारियों को लापरवाही करने वाली कंपनियों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं, और लोगों को भी घर के कूड़े को बेहाल करने के लिए जागरूक होने के लिए कहा जा रहा है।” – सुनील उनियाल, देहरादून नगर निगम के मेयर

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