शहरी विकास मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने कचरा बैंक का उद्घाटन किया और उन्हें पुरस्कृत किया।
शहरी विकास मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने देहरादून के छावनी परिषद द्वारा स्थापित पॉलीथिन कचरा बैंक का उद्घाटन किया। उन्होंने इस कचरा बैंक को प्रस्तुत करते समय इसके महत्व को बताया और इसे पुरस्कृत किया। उन्होंने इसका विशेष महत्व बताया क्योंकि यह देश का पहला ऐसा बैंक है जो घरों और सड़कों से आने वाले पॉलीथिन और इ-वेस्ट को साफ करने में मदद करेगा। इसके अलावा, इस बैंक के माध्यम से आय का स्रोत भी बनेगा। डॉ. अग्रवाल ने यह भी बताया कि इस कचरा बैंक से पॉलीथिन को एकत्र किया जाएगा, जिससे टाइल्स, बोर्ड, गमले आदि सजावटी सामान बनाया जाएगा। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि छावनी परिषद ने सैन्य क्षेत्र के रहने वाले नागरिक कल्याण संघ (RWA) के बीच में पॉलीथिन और इ-वेस्ट के संग्रहण प्रतियोगिता का आयोजन किया था, जिसमें प्रथम, द्वितीय, और तृतीय स्थान पर रहने वाले RWA को मंत्री द्वारा पुरस्कृत किया गया।
रविवार को कैंट रोड स्थित पॉलीथिन कचरा बैंक का उद्घाटन कर डॉ अग्रवाल ने बताया कि छावनी परिषद देहरादून ने प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए गढ़ी व प्रेमनगर में पालीथिन कचरा बैंक की स्थापना की है, जो कि सराहनीय है।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि इन संग्रहण केंद्रों में पालीथिन अपशिष्ट जैसे पालीथिन बैग, चिप्स रैपर, पैकिंग बैग, प्लास्टिक के कट्टे, ब्रेड, पॉलिथीन बैग, केक, बिस्कुट, कुकीज, स्नैक्स, कुरकुरे, दूध, तेल, शैम्पू, हैंडवाश तरल साबुन, चिप्स / वेफर्स, कैंडीज, गद्दे, पनीर पफ्स, आइसक्रीम, आइसक्रीम दही, छाछ, जूस आदि की पन्नी तथा कँडीज, नूडल्स, अनाज / कॉर्नफ्लेक्स / नाश्ता अनाज के साथ लेपित चीनी, मिष्ठान्न आदि तीन रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदे जाएंगे। कहा कि गढ़ी कैट में बिंदाल चौकी, डेयरी फार्म व प्रेमनगर में स्पेशल विंग में पालीथिन कचरा बैंक का संचालन इसी सप्ताह प्रारंभ कर दिया जाएगा।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि इस बैंक में हर माह न्यूनतम 70 टन और अधिकतम 100 टन तक पालीथिन कचरा खरीदने का लक्ष्य है। जिसका मतलब है कि प्रतिदिन 2300 से 3300 किलो पालीथिन कचरा कैंट क्षेत्र व शहर से एकत्र होगा। जिससे टाइल, बोर्ड सहित कई उपयोगी उत्पाद तैयार किये जाएंगे।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि यह सर्कुलर इकोनोमी का अच्छा उदाहरण है। पालीथिन कचरा बैंक में आम लोग पालीथिन कचरा बेच सकते हैं। उन्हें इसका भुगतान किया जाएगा। कहा कि इस प्लास्टिक कचरे से टाइल्स व बोर्ड बनाने वाली कंपनी को इसी दर पर बेच दिया जाएगा। कहा कि कैंट क्षेत्र के अलावा आसपास के लोग भी पालीथिन कचरा बैंक आकर अपना पालीथिन कचरा बेच सकते हैं।
कैंट बोर्ड के सीईओ अभिनव सिंह ने कहा कि वर्तमान में पालीथिन बैग, चिप्स रैपर, पैकिंग बैग, प्लास्टिक के कट्टे आदि को लो वैल्यू प्लास्टिक की श्रेणी में रखा जाता है। इनका न कोई खरीदार हैं और न बाजार कूड़ा बीनने वाले भी प्लास्टिक की बोतलें, कांच आदि को उठा लेते हैं पर पालीथिन बैग, चिप्स रैपर आदि नहीं लेते। कहा कि पालीथिन कचरा बैंक इसी समस्या को सुलझाएगा। बताया कि पालीथिन आदि से दुर्गन्ध नहीं अबआती है, लोग 15-20 दिन का पॉलीथिन कचरा एक साथ इकट्ठा कर बेच सकते हैं।
इस मौके पर, सेना मेडल अध्यक्ष छावनी परिषद ब्रिगेडियर अनिर्बान दत्ता, सीईओ छावनी परिषद देहरादून अभिनव सिंह, और शायना ईको यूनिफाइड कंपनी के डायरेक्टर नितिन आदि मौके पर उपस्थित रहे।
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