श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में कैंसर के कारकों और बचाव पर विशेषज्ञों ने दी जानकारी,महिलाओं को जागरूक करके ही स्तन कैंसर से बचाव संभव : डॉ. नीलकमल कुमार

देहरादून :- स्तन कैंसर विश्व स्तर पर महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक रोग माना जाता है। 1990 के दशक में, भारत में स्तन कैंसर कैंसर के सूची में चौथे स्थान पर था, लेकिन अब यह पहले स्थान पर आ गया है। यह कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन महिलाओं के लिए इसका जोखिम अधिक होता है। आपको आश्चर्य हो सकता है कि हर 4 मिनट में एक महिला को स्तन कैंसर का डिग्नोजिसिस होता है, और हर 13 मिनट में एक महिला स्तन कैंसर से जीवन खो देती है। वर्तमान में यह देखा जा रहा है कि यह कैंसर युवा महिलाओं को बड़े तेजी से प्रभावित कर रहा है, और उनकी मौत का कारण बन रहा है। पहले यह कैंसर सामान्य रूप से 60-70 वर्षीय महिलाओं में होता था, लेकिन अब यह खासकर 40-50 वर्ष की युवा महिलाओं को प्रभावित कर रहा है। इस बारे में एक चिंता वाला तथ्य है कि कैंसर से होने वाली मौत भारत में, अन्य देशों की तुलना में, अधिक है। आंकड़ों के अनुसार, विकसित देशों में प्रत्येक 6 मरीज में से 1 की मौत होती है, जबकि भारत में प्रत्येक 2 मरीज में से 1 की मौत होती है। यह चिंता का विषय है क्योंकि यह कैंसर युवा महिलाओं के बीच असामयिक मौत का कारण बन चुका है। यह ऐसे हो रहा है क्योंकि हम इस बीमारी के प्रति पूरी तरह से जागरूक नहीं हैं। इसलिए अधिकांश महिलाएं जब चरण 3 और 4 में हो जाती हैं, तब ही चिकित्सक से संपर्क करती हैं, जब उपचार के विकल्प सीमित हो जाते हैं। यदि हम स्तन कैंसर को पहले चरणों में पहचान सकते हैं (चरण 1 और 2), तो 99% महिलाओं की जान बच सकती है, और बड़ी ब्रैस्ट सर्जरी और कीमोथेरेपी जैसे उपचारों से बच सकते हैं। इसलिए स्तन कैंसर से बचाव का सबसे सरल तरीका है इसके प्रति जागरूकता फैलाना।

स्तन कैंसर जागरूकता माह पर ब्रेस्ट कैंसर सर्जन डॉ॰ नीलकमल कुमार ने सेमिनार का आयोजन किया एवं महिलाओं को इस कैंसर के जोखिम कारकों एवं लक्षणों के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की।

डॉ॰ कुमार ने बताया कि ब्रेस्ट में अगर गांठ पाई जाती है तो घबराएं नहीं क्योंकि 10 में से एक गांठ कैंसर की होती है। कैंसर के लक्षण जैसे स्तन में गांठ होना, कांख के नीचे गांठ होना, निप्पल से पानी का स्त्राव होना, स्तन की त्वचा का संतरे के छिलके की तरह हो जाना, यह सब प्रमुख लक्षणों में आते हैं। ऐसे लक्षण होने पर स्तन रोग विशेषज्ञ से तुरन्त सलाह लेने की बात बताई।

डॉ॰ कुमार ने महिलाओं को जोखिम कारकों के बारे में जानकारी साझा करते हुए बताया कि मासिक धर्म चक्र ;डमदेजनतंस ब्लबसमद्ध का 12 साल से पहले आना एवं रजोनिवृति ;डमदवचंनेमद्ध का 55 वर्ष के बाद समाप्त होना, गर्भ धारण 30 वर्ष की आयु के बाद होना या गर्भ धारण न होना। बच्चे को कम समय तक स्तनपान कराना या बिल्कुल ना कराना। यदि इन जोखिम कारकों पर नियंत्रण किया जाए तो 30-35ः प्रतिशत महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर से बचाया जा सकता हैं। डॉ॰ कुमार ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण पाए जाने पर उचित समय पर उचित चिक्तिसक जोकि स्तन रोग के विशेषज्ञ हों, से सलाह लें।

Share this content:

Previous post

कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बड़कोट में पशुपालकों एवं आम नागरिकों सें की भेंट।

Next post

51 हजार से अधिक वीआईपी पहुंचे अब तक बदरी-केदार, विशिष्ट श्रद्धालुओं से मंदिर समिति को हुई डेढ़ करोड़ की आय

देश/दुनिया की खबरें