Mann ki Baat में पीएम Modi ने किया नैनीताल की घोड़ा लाइब्रेरी का जिक्र, युवाओं की पहल की सराहना की

इधर क्वारबन में तेज अंधड़ के साथ हुई बारिश के कारण भूमिया मंदिर को नुकसान पहुंचा है। बारिश के बाद पिथौरागढ़ नगरीय हिस्से में नालियों के बंद होने से गंदे नाले सड़क में आने के कारण लोग परेशान हैं। मूनाकोट ब्लॉक के सल्ला गांव में तेज अंधड़ के साथ हुई बारिश के कारण लछमन सिंह के घर की छत उड़ गई। इस कारण उन्हें काफी नुकसान हुआ है। उनके घर में बारिश का पानी भर गया है। इससे घर में रखा गेहूं, लत्ता कपड़ा टीवी अन्य जरूरी सामान आधी तूफान से काफी नुकसान पहुंचा है। मूनाकोट ब्लाक ग्राम पंचायत क्वारबन में भारी बारिश और तूफान से गांव में भारी नुकसान हुआ है। प्राचीन मंदिर भूमिया मंदिर ध्वस्त हो गया है। अंधड़ के कारण केले के सारे पेड़ गिर गए हैं। इससे केले की खेती को काफी नुकसान पहुंचा है। ग्राम प्रधान योगेंद्र सिंह महर का कहना है कि तेज अंधड़ और बारिश ने काफी नुकसान पहुंचाया है। भारी बारिश के कारण पिथौरागढ़ नगर में नालियों के बंद होने से गंदगी और मलबा सड़क में बहने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा लोगों ने शीघ्र बंद पड़ी नालियों को खोलने की मांग की है। बारिश के बाद किसानों के चेहरे खिले पिथौरागढ़। सीमांत जिले के विभिन्न हिस्सों में बारिश के बाद किसानों के चेहरे खिल गए हैं। कई स्थानों पर किसानों ने जुताई शुरू कर दी है। किसानों का कहना है कि अगर एक दो बार अच्छी बारिश हो गई तो वह खेतों की बुआई शुरू कर देंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये देशवासियों से बात कर रहे हैं।  आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम का 105वां एपिसोड है। उन्होंने कहा कि प्रेरक जीवन यात्राओं को उजागर करने में हमेशा खुशी होती है।

पीएम मोदी ने घोड़ा लाइब्रेरी की पहल की सराहना की 

बता दें कि मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने नैनीताल में घोड़ा लाइब्रेबी का जिक्र किया। उन्होंने युवाओं की इस पहली की सरहाना की। मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि नैनीताल में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए एक अनोखी घोड़ा लाइब्रेरी की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि इस लाइब्रेरी की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि दुर्गम से दुर्गम इलाकों में भी इस लाइब्रेरी के जरिए बच्चों तक पुस्तक पहुंच रही है और इतना ही नहीं यह सेवा बिल्कुल निशुल्क है। अब तक इसके माध्यम से 12 गांवों को कवर किया गया है। पीएम मोदी ने कहा कि बच्चों की शिक्षा से जुड़े इस नेक काम में मदद करने के लिए स्थानीय लोग भी आगे आ रहे हैं। इस घोड़ा लाइब्रेरी के जरिए यह प्रयास किया जा रहा है कि दूर-दराज के गांव में रहने वाले बच्चों को स्कूल की किताबों के अलावा कविताएं, कहानियां और नैतिक शिक्षा की किताबें भी पढ़ने का मौका मिले। यह अनोखी लाइब्रेरी बच्चों को भी खूब भा रही है।

अनोखी है घोड़ा लाइब्रेरी 

उत्तराखंड के नैनीताल में अनोखी और खास लाइब्रेरी फेमस हो रही है। न तो इसकी कोई बिल्डिंग है न ही किसी स्कूल में ये लाइब्रेरी है। इतना ही नहीं लाइब्रेरी कहीं भी आ जा सकती है। दरअसल ये चलता फिरता पुस्तकालय घोड़े की पीठ पर है। घोड़े पर किताब लादकर बच्चों तक किताबें पहुचायी जाती है। ताकि पहाड़ों में भी दूरस्थ क्षेत्रों में बच्चें पढ़ाई से महरूम न रह सके। ये लाइब्रेरी बेहतरीन काम कर रही है। इंटरनेट पर यह चलती फिरती लाइब्रेरी जमकर वायरल हो रही है।

बच्चों को नैतिक शिक्षा से जोड़ना है उद्देश्य 
हिमोत्थान की ओर से बच्चों तक पुस्तकें पहुंचाई जा रही हैं। घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत शुभम ने 12 जून, 2023 में की थी। गर्मियों की छुट्टियों से शुरू हुआ घोड़ा लाइब्रेरी का यह सिलसिला, बरसात की कठिनाईयों में अनवरत जारी है और पहाड़ के बच्चों के लिए एक संजीवनी का काम कर रहा है। ये लाइब्रेरी ऐसे समय में बच्चों के बहुत काम आ रही है जब पहाड़ों में बारिश से रास्ते बंद हो जाते हैं। घोड़ा लाइब्रेरी में सामान्य ज्ञान, प्रेरक कहानियां और नैतिक शिक्षा संबंधी पुस्तकें दी जा रही हैं। इस अनोखी लाइब्रेबी को शुरू करने वाले युवाओं का कहना है कि सरकार की ओर से पाठ्यक्रम की पुस्तकें स्कूलों में मिल जाती हैं। उनका प्रयास बच्चों को साहित्य व नैतिक शिक्षा से जोड़ना है। यह अनोखी लाइब्रेरी बच्चों को भी खूब भा रही है।

स्थानीय कर रहे हैं सहयोग 

आपको बता दें कि नैनीताल जिले के कोटाबाग के आंवलाकोट निवासी शुभम बधानी ने युवाओं के साथ मिलकर बच्चों को साहित्य और नैतिक शिक्षा से जोड़ने की मुहिम शुरू की। उन्होंने बताया कि बाघिनी गांव से घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की गई। पहले इस गांव के लोगों की मदद से एक घोड़ा मिला। घोड़े की पीठ पर पुस्तकें लेकर वह टीम के साथ गांव में निकले और बच्चों को पुस्तकें दीं। जिसके बाद जलना, तोक और आलेख गांव तक घोड़ा लाइब्रेरी पहुंच गई। इस मुहिम की सबसे खास बात यह है कि इसमें घोड़ों का सहयोग कम्युनिटी की ओर से ही दिया जा रहा है। अभिभावकों के बीच से ही कोई एक अभिभावक हफ्ते में एक दिन के लिए अपना घोड़ा लाइब्रेरी के लिए देता है।

अब तक 12 गांव किए जा चुके हैं कवर 
इन युवाओं की टोली अब तक 300 पुस्तकें बांटी जा चुकी हैं। और अब तक घोड़ा लाइब्रेरी से जिले के 12 गांवों को कवर किया जा चुका है।  इतना ही नहीं यह युवा गांव-गांव तक पुस्तकें पहुंचाने के साथ ही चौपाल लगाकर नौनिहालों को अक्षर ज्ञान के साथ ही कई फिजिकल एक्टिविटीज करवाते हैं। जो उनके बौद्धिक विकास के साथ ही शारीरिक विकास दोनों के लिए बेहद कारगर सिद्ध होगी। इसके अलावा कहानी और चित्रों के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ाया जाता है जिससे उनका रचनात्मक विकास हो सके। छात्रों के इस समूह की शिक्षा विभाग ने भी जमकर तारीफ की है।

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