सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा- 2028 में पूरा होगा जमरानी बांध का निर्माण

महाराज ने कहा कि परियोजना से करीब 1.5 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही हल्द्वानी शहर को पर्याप्त पेयजल और 6.3 करोड़ यूनिट जल विद्युत उत्पादन हो सकेगा।

उत्तराखंड के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट की आर्थिक मामलों की कमेटी की मंजूरी के रूप में ऐतिहासिक माना। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के निर्माण के लिए 2584 करोड़ रुपये का वित्त प्रस्तुत होने की सम्भावना है, और मार्च 2028 तक इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

 

सुभाष रोड स्थित कैंप कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता के मौके पर महाराज ने बताया कि इस परियोजना के माध्यम से लगभग 1.5 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्रों को सिंचाई की सुविधा प्राप्त होगी। साथ ही, हल्द्वानी शहर को पर्याप्त पेयजल और 6.3 करोड़ यूनिट जल विद्युत उत्पादन की संभावना है। महाराज ने यह भी बताया कि इस परियोजना को 45 वर्षों के बाद मंजूरी मिली है, और अब इस पर काम तेजी से शुरू होगा। उन्होंने इसे बताया कि जमरानी बांध परियोजना के वित्त पोषण के लिए निवेश की मंजूरी मिली है, जिसमें 90 प्रतिशत वित्त केंद्र सरकार से आएगा और 10 प्रतिशत वित्त यूपी-उत्तराखंड के द्वारा उठाया जाएगा।

दीपावली तक हरकी पैड़ी में जारी रखें जलापूर्ति


उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग ने हरिद्वार में दशहरे से दीपावली के बीच सिल्ट सफाई के लिए नहरों को बंद कर देने का अभियान चलाया है। इस वर्ष भी, ऊपरी गंगा नहर की वार्षिक बंदी अक्तूबर में हो गई है, और यह बंदी 12 नवंबर तक जारी रहेगी। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि उन्होंने इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर हरिद्वार के हरकी पैड़ी और अन्य गंगा घाटों पर दीपावली तक पानी की पूर्ति बनाए रखने की अपील की है।


हरिद्वार क्षेत्र में सिंचाई के लिए यूपी से मांगा 665 क्यूसेक पानी
सिंचाई मंत्री महाराज ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में हरिद्वार के भगवानपुर क्षेत्र में सिंचाई के लिए 665 क्यूसेक पानी उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि टिहरी बांध से यूपी को 4879 क्यूसेक पानी उपलब्ध कराया जा रहा है, इसमें उत्तराखंड को 665 क्यूसेक पानी उपलब्ध कराया जा सकता है। इससे भगवानपुर और अन्य क्षेत्रों में सिंचाई की कमी को पूरा किया जा सकेगा।

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