उत्तराखंड लोक विरासत 2 व 3 दिसंबर को देहरादून में शुरू होगा
देहरादून- उत्तराखंड लोक विरासत देहरादून में दो दिसम्बर से शुरू होगी। विरासत में इस बार नीति-माणा, धारचूला से लेकर टकनोर घाटी से जुड़ी वेश भूषा का फैशन शो होगा। समारोह में राज्य के लोगों के जरिए बने प्रतीक चिन्ह अतिथियों से लेकर कलाकारों को भेंट किए जाएंगे। लोक विरासत के कार्यक्रम चार हिस्सों में आयोजित होंगे।
1. लोकरंग के तहत उत्तराखंड लोक संगीत को मंच से प्रस्तुत किया जाएगा। उत्तराखंड का पारंपरिक लोकगायन, पारंपरिक लोकवादन और पारंपरिक लोकनृत्य एक साथ देखने को मिलेंगे। राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों से आए पारंपरिक लोकगायक, लोकनर्तक और लोक वादक मंच से प्रस्तुतियां देंगे।
2-लारा-लता गौंणा-पत्ताः इसके तहत उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों जैसे चैदकोट सलाण, टकानौर घाटी, चमोली, भोटिया जनलजाति, नीति माणा घाटी, रं धारचूला, कुमांऊनी, जौनसारी आदि परंपरागत वेषभूषा, एवं वस्त्र आभूषणों का प्रदर्शन एवं परिचय प्रस्तुत किया जाएगा।
3-गीत संध्याः गीत संध्या में उत्तराखंड के जाने-माने कलाकार के साथ नवोदित व उभरती प्रतिभाएं अपनी प्रस्तुति देंगे।
4- हस्तशिल्प प्रदर्शनीः मैदान में उत्तराखंड के दूरस्थ गांवों के हस्तशिल्पयों के द्वारा निर्मितत हस्तशिल्प प्रदर्शित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसका उद्घाटन करेंगे। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, गणेश जोशी के अलावा मेयर सुनील उनियाल गामा भी इस समारोह में शामिल होंगे। उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में उत्तराखंड लोक विरासत ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. के.पी. जोशी ने बताया कि लोक विरासत का आयोजन हरिद्वार बाईपास रोड स्थित सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल निकट राधा स्वामी सत्संग भवन में होगा। यह कार्यक्रम 2 और 3 दिसम्बर को आयोजित होगा। इसमें पहाड़ के लोकगीत, लोकनृत्य, वाद्ययंत्रों के अलावा भूले बिसरे गीत, संगीत और नृत्य का प्रदर्शन होगा। जिसमें पहाड़ का छोलिया, छपेली, बद्रीनाथ के जागर, खदेड़ गीत, नागराजा का जागर, भोटिया जनजाति के नृत्य आदि की प्रस्तूति होगी। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का मकसद नई पीढ़ी को उत्तराखंड की संस्कृति के बारे में बताना है। अपने गांवों में निर्मित हस्तशिल्प और हुनर की खोज कर राज्य स्तर पर प्लेटफार्म देना है। वहीं रोजगार सृजित कर पलायन को रोकना है। साथ ही कलावंतों के लिए सरकार से एक धनराशि तय करवाना है। डॉ. जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में हुनर और शिल्प की कमी नहीं है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में टकानार घाटी, चमोली, भोटिया, कुमाउँनी, धारचूला, जौनसारी आदि की परंपरागत वेशभूषा और आभूषण का प्रदर्शन होगा। दो दिन तक चलने वाली गीत संध्या में प्रसिद्ध लोक गायकर नरेंद्र सिंह नेगी, पद्मश्री डॉ प्रीतम भरतवाण, मीना राणा, सौरव मैठाणी आदि अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगे। वहीं आयोजन स्थल पर उत्तराखंड के दुरुस्त गांवों के हस्तशिल्प की ओर से निर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगेगी। नए उभरते कलाकार पांडव नृत्य प्रस्तुत करेंगे। डॉ जोशी ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ अजित डोभाल को भी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया गया है। उन्होंने होने वाले इस कार्यक्रम के लिए अपनी शुभकामनाएं भेजी हंै।
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