अवैध नशा मुक्ति केंद्रों पर सख्त हुई धामी सरकार, किया नशा मुक्ति केंद्रों का पंजीकरण अनिवार्य

देहरादून। उत्तराखंड में नशे की तस्करी को रोकने और नशे के तंत्र को समाप्त करने के प्रति धामी सरकार ने गंभीरता से कदम उठाया है। इस उद्देश्य के लिए, नशा मुक्ति केंद्रों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। जिन केंद्रों का पंजीकरण नहीं होगा, उनके खिलाफ स्वास्थ्य सचिव ने एक्शन लेने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं।

सीएम धामी ने देवभूमि उत्तराखंड को वर्ष 2025 तक ड्रग्स फ्री बनाने का लक्ष्य रखा है। जिसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग भी सक्रिय हो गया है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार बताया कि राज्य में आमजन और विशेषकर युवाओं में नशे के विरुद्ध जागरूकता लाई जा रही है, वहीं नशा तस्करों पर कड़ी करवाई की जा रही है। मुख्यमंत्री धामी की पहल पर जनपदों में नशा मुक्ति केंद्रों को प्रभावी बनाया जा रहा है। वर्तमान में चार इंटीग्रेटेड रिहैबिलिटेशन सेंटर फॉर एडिक्ट्स संचालित किए जा रहे हैं।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार के अनुसार नशामुक्ति केन्द्रों एवं मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के संचालन के लिए मानक नही होने पर कई संस्थानों में अनियमितताओं व दुर्व्यवहार की सूचनाएं आती रही हैं। सरकार ने इन संस्थानों के लिए नियम-विनियम राज्य में प्रख्यापित कर दिए हैं। अब सभी केंद्रों का राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में पंजीकृत होना अनिवार्य है। पंजीकरण की आखिरी तारीख 14 दिसम्बर है।

स्वास्थ्य सचिव ने बताया अब तक लगभग 70 नशामुक्ति केन्द्रों व मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों ने आवेदन किया है। उन्हें पंजीकरण प्रमाण-पत्र आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। बताया कि अपंजीकृत केन्द्र गैर-कानूनी माने जाएंगे और उनके विरूद्ध राज्य मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम-2017 के तहत कार्यवाही की जाएगी।

टेली काउंसिलिंग की सुविधा
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया नशामुक्त उत्तराखंड अभियान को अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार बेहतर सेवाएं और इलाज की व्यवस्था कर रही है। नशामुक्ति के लिए टेली-काउंसिलिंग की सुविधा भी दी जा रही है। टेली-मानस के तहत चौबीस मानसिक स्वास्थ्य सहायता उपलब्ध करायी जा रही है। जिसका टोल-फ्री नं0-14416 एवं 18008914416 है।

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