स्वार्थित अधिकारियों और कर्मचारियों के जेब भरने का जरिया बनकर रह गया दरगाह कार्यालय

 

 

कलियर रिपोटर अनवर राणा
सहसंपादक अमित मंगोलिया

*””दूध की रखवाली बिल्ली की सुपुर्द,,,* करने वाली कहावत दरगाह दफ्तर को सार्थक करती है। जायरीनों की सुख सुविधा के मद्देनजर बनाया गया दरगाह दफ़्तर कुछ स्वार्थित अधिकारियों/कर्मचारियों की जेब गर्म करने और ठेकेदारों की तिजोरियां भरने का जरिया बनकर रह गया है। धींगा मस्ती का आलम ये है कि2019_20 के वार्षिक ठेकों की नीलामी के लिए बनाई गई शर्ते खुद मुख्यकार्यपालक वक्फ बोर्ड व दरगाह कार्यालय को सवालों के घेरे में खड़ा कर रही है। दरगाह दफ्तर में तैनात एक उच्च कर्मचारी द्वारा वार्षिक ठेकों के लिए शर्ते तैयार की गयी, जिसमे निविदा सूचना व शर्तो की दो कॉफी में एक ही शर्त को अलग अलग तरीके से लिखा गया। हालांकि आने वाले वक़्त में इसे टायपिस्ट की टैक्निकल मिस्टेक का नाम देकर रफा दफ़ा भी किया जाएगा। लेकिन सूत्र बताते है कि ये मिस्टेक जानबूझकर की गई, ताकि अक़ीदत का लबादा ओढ़े ठेकेदारो को फायदा पहुँचा जा सके। बता दे कि इस बार ठेका लेने वाले ठेकेदार को निविदा व शर्तो की दो कॉपी दी गयी है जिन पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के मुख्यकार्यपालक के हस्ताक्षर भी मौजूद है । जिसके अनुसार ही 2019-20 का ठेका चलाया जाएगा। वार्षिक ठेकों को लेकर कुल 18 ठेको की निविदा ओर शर्ते बनाई गयी है ।जिसपर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की व वक्फ सी ई ओ के पद नाम सहित सी ई ओ वक्फ बोर्ड के हस्ताक्षर भी अंकित है ।जिनमे छः नम्बर निविदा शर्त पर बताया गया है कि *”वक़्त दरगाह हजरत साबिर पाक क्षेत्र में स्थित दुकान नम्बर 6 में सोहन हलवा एवं हलवा पराठा विक्रय करने का ठेका मेला अवधि 1 रविउलअव्वल से 20 रविउलअव्वल तक छोड़कर दिया जाएगा।* जबकि दूसरी कॉपी में यही शर्त
*”वक़्त दरगाह हजरत साबिर पाक क्षेत्र में स्थित दुकान नम्बर 6 में प्रशाद, इलाइचीदाना, चादरें, अगरबत्ती, इत्र, फूल, आदि एवं सोहन हलवा, हलवा पराठा विक्रय करने का ठेका मेला अवधि 1 रविउलअव्वल से 20 रविउलअव्वल तक छोड़कर दिया जाएगा।*
मजेदार बात यह है कि अखबार में प्रकाशित की गई निविदा सूचना भी भृमित करते हुवे एक तरह की ही छपवाई गयी है जबकि सभी ठेकेदारों को 1000 रुपये में सिर्फ एक ठेके के लिये दोनों निविदा सूचना शर्ते भरकर मांगी गई थी,और उक्त निविदा को 120 दिन के लिये मान्य करार शर्तो में दिया गया है। अंदाजा लगाया जा सकता है जो एक दुकान मात्र हलवा पराठा और सोहन हलवा की छोड़ी जाती है, उसमें ही इस बार प्रशाद, इलाईचीदाना, चादरें, अगरबत्ती, इत्र, फूल आदि को भी शामिल कर दिया गया। अब ठेका लेने वाला ठेकेदार आसानी से शर्तो का हवाला देकर या तो ये तमाम सामान बेचेगा, नही तो कोर्ट की शरण में जाएगा। तब दरगाह कार्यालय से टैक्निकल मिस्टेक का हवाला दिया जाएगा, लेकिन क्या वाक़ई ये टैक्निकल मिस्टेक है, ऐसा नही है, ये तमाम तरह के हतकण्डे ठेकेदारों को फायदा पहुचाने के लिए बुने जाते है। क्योंकि वर्ष 2018-19 के ठेकेदार को नीलाम समिति द्वारा सिर्फ एक दुकान पर ही हलवा परांठा व सोहन हलवे बेचने का ठेका दिया गया था परंतु दरगाह कार्यालय से सांठगांठ कर तत्कालीन तेदार ने पूरे साल 5 दुकानों पर उक्त कार्य को अंजाम दिया और दरगाह प्रशासन ने मोटी कमाई कर दरगाह की आय को भारी नुकसान दिया है । बरहाल जो ठेकेदार इन शर्तो पर ठेका लेगा, वो दरगाह दफ्तर द्वारा दी गयी शर्तो का हवाला देकर ही खूब अपनी जेब भरेगा, और दरगाह की आमदनी को आसानी से ठिकाने लगाएगा।
*अब देखने वाली बात यह है कि ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व वक्फ सी ई ओ शर्तो में हेर फेर करने वाले दरगाह कर्मचारी के खिलाफ कार्यवयही करती है या नही वही ठेकेदार द्वारा एक ही दुकान लगवाएगी या फिर पिछले वर्ष की तरह इस बार भी हलवा परांठा ठेकेदार शर्तो का उलंघन कर 5 ही दुकान चलकर दरगाह की आय को पलीता लगाएगा और अधिकारी मुक़दरसक बने रहेंगे।यह सवाल भी क्षेत्र व जनता में चर्चा का विषय बना है*

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