एक धर्मगुरु, एक धार्मिक संस्था और शिंजो आबे के हत्यारे के बारे में हुए ये बड़े खुलासे 2022

प्रधानमंत्री शिंजो
एक धर्मगुरु, एक धार्मिक संस्था और शिंजो आबे के हत्यारे

जापान पुलिस की जांच में सामने आया है कि जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या हाथ से बनाए गए बंदूक से की गई थी. आरोपी ने शिंजो आबे की हत्या में यूज किए गए बंदूक के लिए ऑनलाइन पार्ट्स खरीदा था फिर हाथ से बनाए गए बंदूक से ही शुक्रवार को हत्या की वारदात को अंजाम दिया था.

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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या में धर्मगुरु और धर्मिक संस्था का कनेक्शन भी सामने आया है. हत्या के आरोपी ने पुलिस की पूछताछ में स्वीकार किया है कि वह शिंजो आबे की नहीं बल्कि एक धर्मगुरु की हत्या करना चाहता था. उसने बताया कि वह धर्मगुरु की हत्या नहीं कर पाया, चूंकि शिजो आबे उस धर्मगुरु से संबंध रखते थे, इसलिए उनको मार डाला.

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Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, शिंजो आबे की हत्या ने एक राजनीतिक दल की ओर ध्यान आकर्षित किया जिसने हाल ही में हुए चुनाव से पहले धार्मिक संगठन से संबंधों के चलते शिंजो आबे की आलोचना की थी. दरअसल, एनएचके पार्टी के महासचिव अकिहको कुरोकावा (Akihiko Kurokawa) के कुछ बयानों का सोशल मीडिया यूजर्स ने जिक्र करते हुए आरोप लगाया था कि पिछले महीने एक कैंपेन में बहस के दौरान शिंजो आबे को जापान में धार्मिक संगठनों को दिए जाने वाले फंड के लिए दोषी ठहराया गया था. कथित तौर पर इन संगठनों पर विदेशी जासूसी के आरोप लगे थे.

आबे की हत्या के आरोपी तेत्सुया यामागामी ने पुलिस को बताया था कि उसने शुरू में एक धार्मिक समूह के नेता पर हमला करने की योजना बनाई थी, जिसके बारे में उनका मानना था कि बड़ी रकम दान करने के बाद उसकी मां दिवालिया हो गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने अबे के खिलाफ शिकायत भी की थी कि पूर्व प्रधानमंत्री ने जापान में धार्मिक समूह को बढ़ावा दिया

आबे की हत्या में यूज बंदूक के बारे में विशेषज्ञों ने दी ये जानकारी

उधर, जांच में सामने आया है कि जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या हाथ से बनाए गए बंदूक से की गई थी. आरोपी ने शिंजो आबे की हत्या में यूज किए गए बंदूक के लिए ऑनलाइन पार्ट्स खरीदा था फिर हाथ से बनाए गए बंदूक से ही शुक्रवार को हत्या की वारदात को अंजाम दिया था.
हथियार विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को मारने के लिए आरोपी ने जिस बंदूक का इस्तेमाल किया था, उस तरह के बंदूक को आसानी से बनाया जा सकता है. विशेषज्ञों ने बताया कि इस तरह के बंदूक बनाने के लिए पार्ट्स आसानी से स्टोर या फिर ऑनलाइन उपलब्ध हैं.

 

उन्होंने कहा कि आरोपी 41 साल के तेत्सुया यामागामी की ओर से यूज किए गए डबल बैरल बंदूक के बारे में निश्चित रूप से कम जानकारी है लेकिन प्रारंभिक तौर पर इसे देखने से पता चलता है कि इस बंदूक को उन पार्ट्स से जोड़कर बनाया गया था जो आसानी से हार्डवेयर स्टोर पर मिल जाते हैं. उन्होंने कहा कि बंदूक को देखने पर पता चलता है कि इसे बनाने के लिए लकड़ी का फ्रेम, पाइप, बिजली के तारों को जोड़ने में इस्तेमाल किया जाने वाला टेप, बैटरी आदि का इस्तेमाल किया गया है. उन्होंने ये भी कहा कि इन सभी पार्ट्स को कैसे जोड़कर बंदूक बनाई जा सकती है, इसकी जानकारी भी ऑनलाइन मौजूद है.

जापान में यूनीफिकेशन चर्च के प्रमुख ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की मां इस चर्च की सदस्य हैं. जापान के कई मीडिया संस्थानों ने दावा किया है कि 41 साल का तेत्सुया यामागामी इस चर्च से नाराज था और उसका मानना था कि आबे इसका समर्थन करते थे.

क्योदो समाचार एजेंसी के अनुसार यामागामी की मां ने इस चर्च को चंदे में एक “बड़ी रकम” दी थी. योमिउरी अखबार और दूसरे मीडिया संस्थानों के मुताबिक यामागामी ने पुलिस को बताया कि उस चंदे के बाद उसकी मां दिवालिया हो गईं.

यूनिफिकेशन चर्च का पूरा नाम है फॅमिली फेडेरशन फॉर वर्ल्ड पीस एंड यूनिफिकेशन. चर्च की जापान शाखा के प्रमुख तोमिहिरो तनाका ने टोक्यो में पत्रकारों को बताया कि यामागामी की मां चर्च की सदस्य थीं.

आबे के यूनीफिकेशन चर्च के साथ संबंध

चर्च की वेबसाइट के मुताबिक आबे पिछले साल सितंबर में चर्च से जुड़े एक संगठन के एक कार्यक्रम में गए थे. वहां आबे ने एक भाषण दिया था जिसमें उन्होंने कोरियाई प्रायद्वीप पर शांति के लिए संगठन के प्रयासों की सराहना की थी.

पुलिस ने इस बात की पुष्टि तो की है कि यामागामी को एक संगठन से शिकायत थी लेकिन संगठन का नाम नहीं बताया है. तनाका ने बताया कि यामागामी की मां चर्च से 1998 में जुड़ीं थी लेकिन 2009 से 2017 तक उन्होंने चर्च की किसी सभा में हिस्सा नहीं लिया.

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जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे की गोली मार कर हत्या

दो या तीन साल पहले उन्होंने फिर से चर्च के सदस्यों के साथ संपर्क स्थापित किया और पिछले करीब छह महीनों से वो हर महीने में एकाध बार चर्च के कार्यक्रमों में हिस्सा ले रही हैं.

इस चर्च की स्थापना सून म्युंग मून नाम के व्यक्ति ने 1954 में दक्षिण कोरिया में की थी. मून खुद को पक्का वामपंथ-विरोधी और एक मसीहा बताते थे. चर्च अपने सामूहिक विवाह कार्यक्रमों की वजह से सुर्खियों में रहता है जहां एक साथ हजारों शादियों कराई जाती हैं.

बाइबल की नई विवेचना पर आधारित

चर्च द्वारा प्रकाशित साहित्य के अनुसार जापानी भाषा सहज रूप से बोल लेने वाले मून ने 1960 के दशक में जापान से ही एक वामपंथ विरोधी राजनीतिक अभियान शुरू किया और जापान के राजनेताओं के साथ संबंध स्थापित किए. 2012 में उनका निधन हो गया.

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