क्यों होती है ब्रेन डेथ, जानिए इसके लक्षण और कारण, क्या ब्रेन डेथ के बाद व्यक्ति ठीक हो सकता है?

पिछले कुछ हफ्तों में हम सभी ने खबरों के माध्यम से कुछ मेडिकल टर्म्स के बारे में जरूर सुना होगा। राजधानी दिल्ली के सबसे कम उम्र के ऑर्गन डोनर (16 माह) बने निशांत को डॉक्टर्स ने ब्रेन डेड घोषित किया था। एम्स दिल्ली में भर्ती मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को भी ब्रेन डेड घोषित किए जाने की खबरें सामने आई थीं, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं है। ब्रेन डेड की स्थिति क्या होती है, क्या यह मौत का सूचक है? ऐसे कई सवाल हम सभी के मन में जरूर होंगे। इस लेख में हम ब्रेन डेथ के बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे।

डॉक्टर्स बताते हैं, ब्रेन डेथ को मेडिकल की भाषा में मृत्यु के कानूनी परिभाषा का तौर पर जाना जाता है। किसी को ब्रेन डेड घोषित करने का मतलब है कि उसके मस्तिष्क ने सभी तरह से कार्य करने बंद कर दिए हैं, यानि कि शरीर को सिग्नल भेजने से लेकर समझने या बोलने की क्षमता तक हर किसी शारीरिक और मानसिक क्रिया पर मस्तिष्क द्वारा विराम लग गया है।

ब्रेन डेथ को ठीक नहीं किया जा सकता है, यह स्थाई स्थिति है। आखिर क्यों और कैसे होती है ब्रेन डेथ की स्थिति? आइए इस बारे में समझते हैं।

ब्रेन डेथ की स्थिति के बारे में जानिए

मस्तिष्क पर गंभीर चोट लगने, गंभीर स्ट्रोक या कुछ ऐसी शारीरिक स्थितियां जिसमें मस्तिष्क गंभीर रूप से प्रभावित होता हो, यह ब्रेन डेथ का कारण बन सकती हैं। जब डॉक्टर किसी को ब्रेन डेड घोषित कर देते हैं तो इसका मतलब होता है कि  मस्तिष्क अब किसी भी तरह से काम नहीं कर रहा है। यदि वह व्यक्ति वेंटिलेटर पर है तो कृत्रिम तरीक से सांस देकर हृदय, किडनी, लिवर आदि अंगों को जीवित रखा जा सकता है। हालांकि यह अंग भी तभी तक जीवित रह सकते हैं, जब तक व्यक्ति वेंटिलेटर पर है और उसके शरीर में कृत्रिम तरीक से ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है।

इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि ब्रेन डेथ का मतलब मस्तिष्क की तो मृत्यु हो गई है पर कृत्रिम तरीक से ऑक्सीजन के माध्यम से शरीर के कुछ अंग काम कर रहे हैं।

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