सनातन वही होता है जिसका अंत नहीं होता: सतपाल

श्रीप्रेमनगर आश्रम में आध्यात्मिक गुरु

हरिद्वार: आध्यात्मिक गुरु और कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने श्रीप्रेमनगर आश्रम में कहा कि सनातन धर्म वही होता है जिसका अंत नहीं होता है। आपने इसका महत्व समझाया और इसे बनाए रखने की आवश्यकता को बताया। उन्होंने यह भी दिलाया कि विज्ञान इसे समर्थन देता है और इसे एक नित्य धारणी के रूप में मान्य करता है।

मंत्री सतपाल महाराज के जन्मदिवस के अवसर पर श्रीप्रेमनगर आश्रम में आयोजित सद्भावना सम्मेलन में पंडितों ने वेद मंत्रों का पाठ किया और पूजा का आयोजन किया। श्रद्धालुओं ने मंत्री सतपाल महाराज और उनके परिवार को जन्मोत्सव की शुभकामनाएँ दी।

मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि चार अवस्थाओं में एक क्रिया निरंतर होती है, जिसे वे “निरंजन माला” कहते हैं। यह निरंजन माला श्वासों की माला होती है, जो हमारे अंदर चल रही है, और यह चार अवस्थाओं में (जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति, और तुरिया) चलती है। अगर हम इस माला को समझ लें और अपने मन को केंद्रित कर लें, तो हम अपने ह्रदय में आध्यात्मिक शक्ति का जागरण कर सकते हैं। इसके साथ ही, वे मानव जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा करते हैं और शिक्षा का महत्व बताते हैं।

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