आवास मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि समिति की रिपोर्ट आने पर भवनों को सुरक्षित बनाने का काम किया जाएगा।
देहरादून:
जोशीमठ में हाल ही में हुई भूधंसाव की घटना के बाद, प्रदेश सरकार ने अब समस्त जनपदों के डेंजर जोन को सुरक्षित करने के लिए एक सात सदस्यीय समिति की गठन की योजना बनाई है। इस समिति की मुख्य उपाध्यक्षता करने का काम होगा, जिसके बाद उन भवनों को सुरक्षित करने की कार्रवाई की जाएगी। यह महत्वपूर्ण जानकारी आवास मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने साझा की है।
आवास मंत्री डॉ. अग्रवाल ने बताया कि जोशीमठ में हुए भूधंसाव के घटना के बाद, सरकार ने तत्वगत खतरे में आने वाले भवनों को पहचानने की प्रक्रिया को शुरू किया है। इसके तहत, समिति का कार्य होगा उन भवनों की श्रेणीकरण करना जो भूकंप, भू-स्खलन, भू-धंसाव, और अतिवृष्टि जैसे जोखिमों की दृष्टि से संवेदनशील हैं।
आवास मंत्री डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इस समिति के सदस्यों की सूची में जिलाधिकारी, जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, संबंधित क्षेत्र के उपजिलाधिकारी, लोकनिर्माण विभाग या सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता, सहायक भू-वैज्ञानिक (भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग), और संबंधित नगर निकाय के अधिशासी अधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा, यदि आवश्यक हो, तो समिति में संबंधित विशेषज्ञों को भी शामिल किया जा सकता है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इस समिति का कार्य होगा उन भवनों की पहचानना और चिन्हित करना जो वर्तमान में खतरे में हैं, जिन्हें अपने डेंजर जोन में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि इसमें वह भवन शामिल हो सकते हैं जो 30 डिग्री से अधिक की ढाल पर निर्मित हैं, जो नदियों के बगीचों में हैं, या जो फ्लड जोन के बीच में हैं।
इसके बाद, ऐसे असुरक्षित भवनों का चिन्हिकरण होगा, जिन्हें रेट्रोफिटिंग द्वारा सुरक्षित किया जा सकता है। समिति इनके चिन्हिकरण के बाद आपदा न्यूनीकरण भवनों को सुरक्षित करने की कार्रवाई करेगी।
इस समय, सरकार उन स्थानों की सुरक्षा पर जोर देने का प्रयास कर रही है जो खतरे में हैं और इस प्रक्रिया के माध्यम से, जोशीमठ की घटना की तरही घटनाओं को बचाने का प्रयास कर रही है।
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