कांग्रेस की छवि धूमिल कर रहे हैं विधायक भौर्यालः ललित फर्स्वाण
बागेश्वर। कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री ललित फर्स्वाण ने कपकोट विधायक पर निशाना साधा है। ललित फर्स्वाण ने कहा कि कपकोट के विधायक बलवंत सिंह भौर्याल अनर्गल बयानबाजी पर उतर आए हैं। वह पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और शामा पंचायत सदस्य हरीश ऐठानी पर तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं। विधायक भौर्याल मीडिया में उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी अपने कार्यकर्ताओं का अपमान नहीं होने देगी। बागेश्वर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए ललित फर्स्वाण ने बताया कि पिछले दिनों लिती में मत्स्य विभाग का कार्यक्रम था. क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य ऐठानी को मत्स्य अधिकारी ने आमंत्रित किया था। वहां विधायक बलवंत भौर्याल भी गए थे। उन्होंने कहा कि यदि जिला पंचायत अध्यक्ष भ्रष्टाचार में लिप्त थे, तो एसआईटी जांच होनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि 2017 से अब तक अलग-अलग विभागों में एक ही खेल मैदान के निर्माण के लिए लाखों की धनराशि कपकोट विधायक निधि से प्रदान की गई है। आरटीआई से इसका खुलासा हुआ है। इसकी जांच होनी चाहिए। विधायक कपकोट केवल झूठे और तथ्यहीन आरोप लगा कर ऐठानी की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। विधायक भौर्याल खुद ही खड़िया और स्टोन क्रशर के मामले में पेनाल्टी दे चुके हैं।
नरेंद्र गिरि का ऐलान, मोह माया में फंसे साधुओं को अखाड़े से करेंगे बाहर
हरिद्वार। संन्यास परंपरा के श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने ऐलान किया है कि जो भी संत घर परिवार से रिश्ता रखे हुए हैं या फिर गृहस्थ जीवन जी रहे हैं, उन्हें अब अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि संन्यास परंपरा में आने के बाद संत का पुनर्जन्म होता है। संत अपना घर, परिवार और माता-पिता समेत मोहमाया त्याग देते हैं। इसलिए संत बनने के बाद दोबारा गृहस्थ जीवन में लौटना या फिर घर परिवार व अन्य परिवारजनों से रिश्ता रखना संन्यास परपंरा के खिलाफ है। निरंजनी अखाड़े के सभी संतों ने एकमत से ये फैसला किया है। ऐसा करने वाले संतों को अखाडे से बाहर किया जाएगा.बता दें कि संन्यास परंपरा के सात अखाड़े हैं। इनमें प्रमुख जूना, निरंजनी, अग्नि, आह्वान, महानिर्वाणी और अटल आनंद हैं. इन सभी अखाड़ों में लाखों की संख्या में नागा संन्यासी और संत हैं।
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