कोरोना विषाणु संक्रमण की दूसरी लहर भारतीय जनमानस के मध्य घातक या साधक

कोरोना विषाणु संक्रमण की दूसरी लहर भारतीय जनमानस के मध्य घातक या साधक
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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। कोरोना विषाणु संक्रमण की दूसरी लहर, अब पूरे देश मे फैल गई है। देश मे एक्टिव केसेज की संख्या बढ़ कर, साढे़ बारह लाख हो गई है। कोरोना विषाणु संक्रमण की पहली लहर में, एक्टिव केसेज की संख्या 11लाख से नीचे रही थी। इस बीच भारत एक बार फिर, दुनिया का दूसरा सबसे सर्वाधिक संक्रमित देश बन गया है। माह फरवरी में भारत, तीसरे पायदान पर था। भारत में हर दिन संक्रमण का नया रिकार्ड बन रहा है। संक्रमितो की संख्या प्रतिदिन डेढ़ लाख से ऊपर पहुंच रही है। सरकारी आंकड़ो के मुताबिक, अभी तक छह-सात फीसद, कुल दस करोड़ लोगों को ही टीका लगा है।

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कोरोना विषाणु संक्रमण से सबसे ज्यादा संक्रमित राज्य महाराष्ट्र है। देश के सर्वाधिक संक्रमित राज्यो मे, एक बार पूरी तरह से लाकडाऊन लगाने की सुगबुगाहट है। अभी फिलहाल, कहीं रात का कर्फ्यू, कही आंशिक लाकडाऊन, कही सप्ताहांत लाकडाऊन का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे कोई आशानुकूल समाधान नजर नहीं आ रहा है। युवा पीढ़ी ज्यादा प्रभावित व चिंतित हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी पूर्ण लाकडाउन के पक्ष मे नहीं दिख रहे हैं।

डब्लूएचओ व आईसीएमआर द्वारा भारत में दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के केसेज पर, चिंता व्यक्त की गई है। भारत मे सामुदायिक स्तर पर जल्द ही कोरोना विषाणु संक्रमण फैलने की आशंका व्यक्त की जा रही है। ऐसा होने पर, मृतकों की संख्या मे इजाफा होने की आशंका जताई जा रही है।

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बांकी देशो की तुलना में कोरोना विषाणु संक्रमण का भारत मे असर, एकदम अलग दिख रहा है। आईसीएमआर के आंकड़ों के मुताबिक देश मे अब तक 4.5 फीसद से अधिक लोगों को एक से अधिक बार, संक्रमण हो चुका है। संक्रमित मरीजो मे विकसित होने वाली एंटीबाडी को लेकर, पहली बार वैज्ञानिको के हाथ कामयाबी मिली है।

वैज्ञानिको के अनुसार चार मे से एक व्यक्ति मे 150 से 180 दिन भी एंटीबाडी टिक नहीं सकी। वैज्ञानिको के अनुसार, ऐसे भी लोग हैं, जिनमे तीन महीनों में ही एंटीबाडी खत्म हो गई। इतना ही नहीं, वैज्ञानिको को, बिना लक्षण वाले रोगियों मे एंटीबाडी बेहद कमजोर स्तर की होने का भी पता चला है। संक्रमित होने के साठ दिन बाद, इन लोगों के शरीर में प्लाज्मा भी धीरे-धीरे बेअसर होने लगा। वैज्ञानिको के अनुसार एंटीबाडी कम होने का सीधा मतलब यही है कि, कोरोना वायरस से बचाव लम्बे समय तक नहीं हो सकता। इससे देश मे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

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आंकड़ों के मुताबिक देश मे अब तक 10 फीसद से अधिक आबादी के संक्रमित होने की आशंका व्यक्त की गई है। इस वर्ष माह जनवरी से माह मार्च तक, सबसे ज्यादा दोबारा संक्रमण के केस सामने आए हैं। वैज्ञानिको का मानना है, भारत में कोरोना संक्रमण को लेकर स्थिति, सरकारी आंकड़ों से कही अधिक गंभीर है।

कोरोना के कारण लगे प्रतिबंधो से, देश के व्यापार मे एक सप्ताह मे, 30 फीसद और उपभोक्ताओं को बाजारों में लगभग 50 फीसद की गिरावट, दर्ज की गई है। लाकडाउन लगाऐ जाने की खबरों के मध्येनजर, सोमवार को शेयर बाजार में, भारी गिरावट दर्ज हुई है। शेयर बाजार मे निवेशको के आठ लाख करोड़ रूपये डूबे हैं।

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रात्रि कर्फ्यू लगने के कारण, एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाले व्यापार की कम ढुलाई होने के कारण लगभग 15 से 20 फीसद व्यापार की गिरावट, थोक बाजार में आई है। लगभग सारे देश मे दिन में माल वाहक बाहनो के प्रवेश पर प्रतिबंध है, जो रात्रि नो बजे खुलता है। अब जब, अधिकांश राज्यो में रात्रि कर्फ्यू लग जाता है, इसलिए थोक माल की आवाजाही पर भी 15 से 20 फीसद कमी आ गई है। बाजारों में उपभोक्ताओं का आना लगभग, 50 फीसद कम हो गया है।

भारतीय जनसमाज के मध्य कोरोना के बावत व्यक्त किया जा रहा है, कोरोना की दूसरी लहर कम घातक है या मामूली बुखार की तरह है। लोगों को इसके साथ रहना व जीना सीख लेना चाहिए।दरअसल समझने वाले समझते हैं, यह सब हमारी व्यवस्थापको की विफलता पर पर्दा डालना जैसा है। दरअसल कोरोना की दूसरी लहर को ज्यादा खतरनाक आका जा रहा है।

दुनिया में अब तक वैज्ञानिको को कोरोना के साढ़े चार हजार वैरिऐंट मिले हैं। भारत में 40-50 मिल गए हैं। पर वैज्ञानिको को यह पता नही चल पा रहा है, देश मे इतनी तेजी से कौन सा स्ट्रैंन फैल रहा है। म्युटेशन के बाद उसका स्वरूप क्या है। मात्र अंदाज ही लगा कर, व्यक्त किया जा रहा है, यह स्ट्रैंन ब्रिटेन का है, पंजाब में फैला स्ट्रैंन खासकर। महाराष्ट्र में फैला स्ट्रैंन भारत का बताया जा रहा है। उक्त स्ट्रैंनो का पक्के तौर पर पता चल पाना तभी सम्भव हो पाएगा, जब कोरोना के पांच फीसद सैम्पल की जीनोम की रिपोर्ट वैज्ञानिको के सामने होगी।

सुझाव आ रहे हैं, कोरोना टैस्टिंग की संख्या बढाई जाय। उसकी रिपोर्ट तुरंत प्राप्त करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए। विभिन्न राज्यो के मुख्यमंत्रियों द्वारा विगत दिनों प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई बैठक मे मुद्दा भी उठाया गया कि, कोरोना की चेन तोडने की जरूरत है।

कोरोना संक्रमण के दौरान, सियासत भी खेली जा रही है। विपक्ष द्वारा, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के लिए, केन्द्र सरकार की नीतियों को जिम्मेवार ठहराया जा रहा है। टीकाकरण की रफ्तार बढाने व मजदूरों के हक मे, नकदी देने का सुझाव दिया जा रहा है। प्रत्यक्ष देखा जा रहा है, प्रवासी मजदूर शहरो व महानगरो से पुन: पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। आमजन का जीवन व देश की अर्थव्यवस्था दोनों के लिए, मजदूरों के हाथ में नकदी देना आवश्यक भी है, विपक्ष का उक्त कथन, सटीक बैठता नजर आता है।

विपक्ष का कथन है, केन्द्र सरकार वैक्सीन निर्यात कर रही है। देश मे वैक्सीन की कमी है। कई राज्यो में वैक्सीन की कमी हो गई है। वैक्सीन की कमी से, सैकडो वैक्सीन सेंटर बंद हो गए हैं।सरकार कोरोना संक्रमण से निपटने मे, पूरी तरह नाकाम हो चुकी है। सरकार को राज्यो के साथ भेद-भाव नहीं करना चाहिए। हमें देश मे सबसे पहले, टीकाकरण पर फोकस करना चाहिए। इसके बाद ही वैक्सीन का निर्यात या दूसरे देशो को तोहफा देना चाहिए।

भारत में वैक्सीन को लेकर, अनेकों कथाऐ भी गढी जा रही हैं। एक कथा, वैक्सीन की नई डोज लग जाने के बाद हो रहे संक्रमण पर है। कहा जा रहा है, रिकवरी जल्दी हो जाएगी। उक्त जल्द रिकवरी पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। व्यक्त किया जा रहा है, जिन लोगों को दूसरी डोज लग गई है, उनको संक्रमण हो रहा है। देश के सर्वश्रेष्ट मेडीकल संस्थान एम्स दिल्ली के, बीस डाक्टर व नौ छात्रों तथा कुल 32 स्वास्थ कर्मियों को संक्रमण हो गया है। प्रतिष्ठित गंगाराम मेडीकल अस्पताल के 37 डाक्टरो को भी। कहा जा रहा है, संक्रमण जल्दी ठीक हो जायेगा।

असलियत मे जनधारणा के मध्य धारडा है, जिनको कोरोना संक्रमण हुआ था, स्वयं ठीक हुए हैं। वैक्सीन लगने के बाद भी, जो व्यक्त किया जा रहा है, जल्दी ठीक हो जाऐंगे। जन के मध्य व्यक्त किया जा रहा है, ठीक तो वे भी हो रहे हैं, जिन्हे टीका लगा ही नहीं है। ऐसे मे जनमानस के मध्य, आशंका बलवती हो रही है, वैक्सीन प्रोटेक्शन नहीं दे रही है?

अवलोकन कर देखा जा रहा है, कोरोना संक्रमित बीमारो के लिए, संसाधनों की कमी पड रही है। वही संक्रमण से जान गवाने वालों के अंतिम संस्कार मे भी, दिक्कते आ रही हैं। देश के कई राज्यो के जिलों मे, अंतिम संस्कार के लिए, मृतकों के परिजनों को टोकन लेने के बाद, शमशान घाटों पर आठ से दस घण्टे इंतजार करना पड रहा है। शमशान घाटों पर दिनभर अंतिम संस्कार किया जा रहा है। होली के बाद से मृतकों की संख्या बढी है।

कई प्रदेशो के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के दफ्तर से जारी आंकड़ों व शमशान घाट पर कोरोना पीड़ित लोगों का अंतिम संस्कार की संख्या में, तीन गुने से भी ज्यादा का अंतर देखा जा रहा है। शमशान घाट पर नियत जगहो के अलावा, नई जगहो पर भी अंतिम संस्कार किया जा रहा है। शमशान घाटो की स्थिति भयावह है। विद्युत शवदाह गृहों की जरूरत महसूस की जा रही है। कई जगह विद्युत शवदाह गृह बन गए हैं, परंतु चालू नही हैं। दो दिन पूर्व भोपाल से खबर थी, एक आठ माह की बच्ची की मौत, कोरोना से हुई है। ऐसे भी मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें परिवार, मौत के बाद, आर्थिक तंगी की वजह से, अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं। स्थानीय संस्थाऐ मदद कर रही हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि, कोरोना संक्रमण भयानक महामारी है।विश्वव्यापी है। मगर जहां दुनिया भर के देशों में, कोरोना को लेकर सरकारों और जनता ने मिल-जुल कर बेहतरीन प्रदर्शन किया है, वहीं भारत में इसका अभाव नजर आ रहा है। देश का नेतृत्व, आपदा में अवसर ढूढ़ रहा है।

इस बढती महामारी के वक्त, क्या इस बात पर जोर नहीं दिया जाना चाहिए कि, नेता हो या जनमानस, सबका जिम्मेदाराना व्यवहार हो। बिना किसी अपवाद के, कोरोना संबंधी दिशा-निर्देश व सभी कानूनो का हर कोई पालन करे। कोरोना जैसी आपदा को अवसर न बना, इससे निपटने के उपाय तलाशें जाए। क्योंकि कोरोना एक ऐसी आपदा है, जो जनमानस को शारीरिक पीड़ा ही नहीं दे रही, उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से भी अलग-थलग कर रही है। कोरोना महामारी से निपटने के लिए, युद्ध स्तर पर कार्य-योजना बनायी जानी चाहिए। उन देशो से सीख लेकर, जिन्होंने कोरोना विषाणु संक्रमण की भयावहता का अनुमान लगा, धीरे-धीरे अपने संसाधनों के बल, संक्रमण पर काबू पा, विश्व के देशो के सम्मुख एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
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