वाह रे उत्तराखंड प्रशासन, चंद घंटों में बदल दिया अपना ही फैसला ?

राकेश चंद्र डंडरियाल

देहरादून –इसे आप क्या कहेंगे , आप खुद ही तय कीजिए, कि एक अधिकारी दोपहर में एक ऑर्डर जारी करता है, और शाम ढलने तक दूसरा ऑर्डर जारी कर देता है। इतनी जल्दी तो शायद चूल्हे की रोटी भी नहीं पलटती होगी, जितनी जल्दी प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारी अपने ही फैसले बदल देते है? ऐसा ही एक फैसला बुधवार दोपहर में डॉक्टर पंकज कुमार पाण्डेय ने लिया। पहले आदेश दे दिया कि राज्य सरकार के सभी कार्यालय(केवल जरूरी सर्विस को छोड़कर ) अप्रैल 29,30 व पहली मई को बंद रहेंगे।

पहला आदेश

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लेकिन शाम होते होते उन्होंने अपना पहले वाला फैसला बदल दिया। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री उपरोक्त फैसले से सहमत नहीं थे। नए फरमान के अनुसार अब प्रदेश के शासकीय कार्यालयों में समूह क, ख, ग , घ कार्मिकों की उपस्थिति के संबंध में नया आदेश जारी किया गया है। इसके तहत शासकीय कार्यालयों में कार्मिकों की उपस्थिति शत प्रतिशत रहेगी तथा समूह ग और घ के कर्मचारियों की उपस्थिति को 50% तक रोटेशन के आधार पर सीमित रखा जाएगा।

दूसरा आदेश

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ऐसी महिला कार्मिक जो गर्भावस्था में हो अथवा जिनके संतान 10 वर्ष से कम उम्र की हो वह 55 वर्ष से अधिक आयु तक गंभीर बीमारी से ग्रसित कार्मिक घर से ही अपरिहार्य परिस्थितियों में ही इनको कार्यालय बुलाया जाएगा। राजकीय शासकीय कार्यालयों में कार्यरत दिव्यांग कार्मिकों को कार्यालय में उपस्थित छूट रहेगी। शासकीय कार्यों में आवश्यकता पड़ने पर किसी भी कार्मिक को कार्यालय बुलाया जा सकेगा, इसके अलावा जहां तक संभव हो बैठकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही कार्य किए जाए इसके अतिरिक्त पूर्व में निर्गत 20 अप्रैल में कार्यालय में सावधानियों बचाव हेतु दिए गए दिशानिर्देश यथावत लागू रहेंगे।

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