संकट काल में भी प्रचार की भूखी तीरथ सरकार, जनता से मांगे माफ़ी – शिशुपाल
संकट काल में भी प्रचार की भूखी तीरथ सरकार, जनता से मांगे माफ़ी – शिशुपाल
आम आदमी पार्टी नेता शिशुपाल सिंह का कहना है कि कोरोना महामारी के इस खतरनाक दौर में जब हर कोई व्यक्ति डरा हुआ है और लोगों को वैक्सीन में एक उम्मीद नजर आ रही है, ऐसे डरावने हालातों में अगर सरकार का ध्यान लोगों को जल्द से जल्द टीका उपलब्ध कारने के बजाय उद्घाटन करने, फोटो खिंचावाने और श्रेय बटोरने पर हो, तो इससे शर्मनाक बात और क्या हो सकती है।
आप नेता ने आरोप लगाते हुवे कहा कि १० मई को उत्तराखंड में भी 18 से 45 वर्ष की उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन लगाए जाने का अभियान शुरू हुआ लेकिन इस अभियान को ‘सरकार की प्रचार पाने की भूख’ ने बुरी तरह प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
देहरादून से लेकर हल्द्वानी और ऋषिकेश के लेकर प्रदेश के तमाम अन्य इलाकों में भाजपा नेताओं, खासकर मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायकों में लोगों को टीका लगाए जाने के बजाय टीकाकरण अभियान का उद्घाटन करने की होड़ मची रही। इसके कारण दूर-दूर से आए लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए घंटों तक इंतजार करना पड़ा।
हैरानी की बात यह है कि फोटो खिंचवाने और प्रचार की हवस के इस खेल में प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत खुद पहले नंबर पर रहे। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को देहरादून में जहां वैक्सीनेशन अभियान के उद्धाटन के लिए आना था, वे न तो वहां समय पर पहुंचे और न ही उन्होंने अधिकारियों से तय समय पर टीकाकरण शुरु करने को कहा। तय समय से लगभग एक घंटे बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पहुंचे जिसके बाद उन्होंने अन्य नेताओं के साथ फोटो खिंचवा कर वैक्सीनेशन अभियान का उद्घाटन किया। इस पूरी प्रक्रिया में आम जनता को घंटों परेशान होना पड़ा।
इसी तरह की स्थिति हल्द्वानी में भी दिखी जहां व्यवस्थाओं पर फोटो खिंचवाने और श्रेय बटोरने की भूख हावी रही। हल्द्वानी में टीकाकरण अभियान के दौरान जहां हजारों रुपये सजावट पर खर्च किए गए वहीं टीका लगाने के लिए आई आम जनता को पीने के पानी तक के लिए जूझना पड़ा।
प्रचार की भूख का एक और उदाहरण बीते रोज प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी दिखाया। प्रेमचंद अग्रवाल के विधानसभा क्षेत्र ऋषिकेश में एक टीकाकरण केंद्र पर लोगों के पहुंचने के बाद भी तब तक टीकाकरण शुरू नहीं हुआ जब तक कि प्रेमचंद अग्रवाल उद्घाटन के लिए नहीं पहुंचे। लोगों को कड़ी धूप में घंटों इतजार करवाने के बाद जब प्रेमचंद अग्रवाल रिबन काटने पहुंचे तो जनता ने मुर्दाबाद के नारों के साथ उनका विरोध किया।
कुल मिलाकर कोरोना महामारी के इस दौर में जब सरकार और जनप्रतिनिधियों की पहली प्राथमिकता बिना कोई देरी किए लोगों का टीकारकण शुरु कराना होना चाहिए, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, स्पीकर, मंत्री और विधायकों से सर पर प्रचार पाने और फोटो खिंचवाने की सनक सवार है। आम जनता को संकट में डालने वाली इस सनक का आम आदमी पार्टी कड़ा विरोध करती है और सरकार से मांग करती है कि इस कृत्य से लिए प्रदेशवासियों से माफी मांगे।
प्रदेश में 18 से 45 वर्ष के लोगों के टीकाकरण का अभियान वैसे भी दस दिन की देरी के बाद शुरू हुआ है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने दावा किया था कि प्रदेश में 1 मई से वैक्सीनेशन अभियान शुरू कर दिया जाएगा, लेकिन उनके इस दावे की हकीकत ये है कि कल 10 दिन की देरी के बाद वैक्सीनेशन अभियान शुरु हो पाया। उस पर भी खुद मुख्यमंत्री और अन्य नेतागण फोटो खिंचवा कर अपनी नाकामी ढंकने का असफल प्रयास करते दिखे।
उत्तराखंड में जिस तरह से कोरोना वायरस संक्रमण बेकाबू होता जा रहा है, उसने तीरथ सरकार की तैयारियों की पोल खोल कर रख दी है। जिस तरह प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन से लेकर दवाइयों, बेड और आईसीयू के लिए लोग परेशान हैं, उसने तीरथ सरकार के हैल्थ सिस्टम को बेपर्दा कर दिया है। इन अव्यवस्थाओं ने बता दिया है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में तीरथ सरकार बुरी तरह फेल हो चुकी है।
खुद प्रदेश के दो-दो कौबिनेट मंत्री, हरक सिंह रावत और गणेश जोशी, सरकार की नाकामियों को यह कर कर स्वीकार कर चुके हैं कि कोरोना के खिलाफ राज्य सरकार समय रहते तैयारियां नहीं कर पाई। कैबिनेट मंत्रियों की यह स्वीकारोक्ति साबित करती है कि कोरोना महामारी के खिलाफ जब युद्धस्तर पर तैयारियां किए जाने की जरूरत थी, तब सरकार कुंभकर्णी नींद में सोई हुई थी।
सरकार के इसी नकारेपन का दुष्परिणाम है कि आज उत्तराखंड में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है।
आज प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की संख्या यानी कोरोना मृत्यु दर हिमालयी राज्यों में सबसे ज्यादा है। इसके अलावा कोरोना से स्वस्थ होने वालों की दर यानी रिववरी रेट पूरे देश में सबसे कम है। जहां भारत का रिकवरी रेट 81.9 प्रतिशत है वहीं उत्तराखंड का रिकवरा रेट 69.1 प्रतिशत है।
ये आंकड़े तीरथ सरकार की नाकामियों को उजागर करने वाले तो हैं ही राज्यवासियों की परेशानी बढ़ाने वाले भी हैं।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को चाहिए कि वे फोटो सेशन के बजाय इन आंकड़ों पर ध्यान दें और कोरोना के खिलाफ प्रभावी कदम उठाएं।
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