नाट्य व सांस्कृतिक उत्सव में झिझिया, झूमर और लोकगाथा

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दो दिवसीय लोकनाट्य एवं सांस्कृतिक उत्सव के अंतिम दिन कलाकारों ने झूमर, समा चकेवा, झिझिया, जट जटिन, समूल लोक नृत्य, समूह लोक गीत, विदापत नाच की प्रस्तुति से सबों को झकझोर…
कलाभवन के मुक्ताकाश मंच में आयोजित संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार न्यू दिल्ली के सौजन्य एवं वरीष्ठ रंगकर्मी विश्वजीत कुमार सिंह की ओर से आयोजित दो दिवसीय लोकनाट्य एवं सांस्कृतिक उत्सव के अंतिम दिन कलाकारों ने झूमर, समा चकेवा, झिझिया, जट जटिन, समूल लोक नृत्य, समूह लोक गीत, विदापत नाच की प्रस्तुति से सबों को झकझोर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत लोककला प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन केन्द्र के कलाकारों की ओर से किया गया। कलाकारों ने झिझिया नृत्य और समा चकेवा गीत से इसे आगे बढ़ाया। केन्द्र के कलाकारों में सपना कुमारी, शांति, अमीषा भारती, मनीषा, विनिता, सोनम, खुशबू, सविता, बरखा एवं सीमा कुमारी ने भाग लिया। सांस्कृतिक कड़ी में सुधांशु लोक कला मंच के कलाकारों ने झुमर लोक नृत्य पेश कर सबों को झूमा दिया। कलाकारों ने झूमर के गीत लाली रे.. लाली चुनरिया… बोल बोल गोरिया ना…. नृत्य से समां बांध दिया। सांस्कृतिक दौर में कसवा सांस्कृतिक मंच कसवा की टीम ने लोकगाथा की प्रस्तुति दी। लोकगाथा में कलाकारों ने सदावृक्ष और सरंगा की प्रेम के अनुभूति को दर्शाया है। प्रेम के बीच दोनों के बीच विवाह होता है। इसी कड़ी में प्रेम भाव में वह सदावृक्ष के घर आ जाती है। इसी कड़ी में विरहा गीत गोरे तोरा लागो … हे दुर्गा चरण कमलिया… हे प्यारे … खोल दिहय बजर केवाड़… खोलू खोलू आहे मईया बजर केवड़िया हे प्यारे… आजो संरगा चली ले ससुराल गीत ने लोगों को भाव विभोर कर दिया। टीम का नेतृत्व कसम के सचिव व निर्देशक सुचित कुमार उर्फ एसकुमार रोर्हितस्व पप्पू ने की। टीम के कलाकार में रुबी, सपना, अमर ज्योति, प्रभात झा, निर्मल शुक्ला, कृष्ण कुमार, उत्सव पाठक, अनीषा प्रीति, सोनू राय, राहुल, निलेश, धनंजय, सत्यनारायण ठाकुर, कामख्या महलदार ने भाग लिया। मंच संचालन निरंजन कुमार ने किया।