Uttarakhand News: गढ़वाल विश्वविद्यालय ने फरवरी में भेजा सीयूईटी से दाखिलों का पत्र, जून में कर दिया असंबद्ध

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गढ़वाल विश्वविद्यालय

गढ़वाल विश्वविद्यालय ने अपने दस अशासकीय डिग्री कॉलेजों को इसी सत्र से असंबद्ध (डिएफिलिएट) कर दिया है, जिससे कॉलेजों को बड़ा झटका लगा है क्योंकि वे ग्रेजुएशन-पीजी में नए अकादमिक सत्र के दाखिलों की तैयारी कर रहे थे.



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फरवरी में गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय ने 10 अशासकीय डिग्री कॉलेजों को कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CEU) से नए सत्र के दाखिले कराने का पत्र भेजा था, लेकिन अब उन्हें कार्यकारी परिषद की बैठक से असंबद्ध कर दिया गया है. अब कॉलेज प्रशासन कहता है कि दाखिलों की तैयारी के बीच दाखिले की प्रक्रिया स्पष्ट नहीं है.

डिग्री कॉलेजों को नया सत्र शुरू होने से ठीक पहले विवि से असंबद्ध करने के फैसले को लेकर बुधवार को हड़कंप मचा रहा। कॉलेज प्रशासन के साथ ही छात्र भी चिंतित नजर आए। उनका कहना था कि सीयूईटी देने के बाद अब वह कहां जाएंगे। उधर, श्रीदेव सुमन विवि में दाखिलों के समर्थ पोर्टल पंजीकरण की अंतिम तिथि भी 24 जून है।

डीएवी कॉलेज प्रशासन अभी कार्यकारी परिषद के फैसले से असमंजस में है और अभी तक सरकार या विश्वविद्यालय से कोई पत्र नहीं मिला है. श्रीदेव सुमन विवि में शामिल होने में कई महीने लग सकते हैं. यही कारण है कि इन दस कॉलेजों में कैसे दाखिले मिलेंगे? डीएवी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. केआर जैन ने कहा कि विश्वविद्यालय के पत्र के आधार पर हमने नए सत्र के दाखिलों की तैयारी शुरू कर दी है. असमंजस के कारण विश्वविद्यालय ने सत्र शुरू होने से पहले असंबद्धता का निर्णय लिया है.

गलती तुरंत दूर करें

डॉ. सुनील अग्रवाल, ऑल इंडिया अन एडेड विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, ने कहा कि गढ़वाल विश्वविद्यालय ने 10 अन एडेड कॉलेजों को वर्तमान सत्र 2023–24 से असंबद्ध करने का प्रस्ताव पास करना समझ से परे है. यदि कॉलेजों को असंबद्ध करना ही लक्ष्य था, तो इसके लिए सही समय होना चाहिए था.

यह छात्रों के भविष्य को खराब नहीं कर सकता क्योंकि वे सीयूईटी परीक्षा देकर इन संस्थानों में प्रवेश के लिए इंतजार कर रहे हैं. यदि ये कॉलेज श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से संबद्धता लेंगे तो यहां भी छात्र वंचित रहेंगे क्योंकि समर्थ पोर्टल की अंतिम तिथि 24 है. केंद्रीय विश्वविद्यालय के अधिनियम में प्रावधान है कि सभी विश्वविद्यालयों की संबद्धता समान रहेगी, उन्होंने कहा. गढ़वाल विश्वविद्यालय, राज्य सरकार और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सत्र शुरू होते ही अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.