अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में खून नहीं…बेटे की जान बचाने को तय किया 190 किमी का सफर

बेटे की सांस लौटाने के लिए एक पिता ने रात में ही अल्मोड़ा से 190 किमी का सफर तय किया। रात में ही वह हल्द्वानी से ब्लड लाए तब जाकर बच्चे को चढ़ाया गया।

अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में ब्लड न मिलने के कारण डेढ़ महीने के बच्चे की जान पर बन आई। बेटे की सांस लौटाने के लिए एक पिता ने रात में ही अल्मोड़ा से 190 किमी का सफर तय किया। रात में ही वह हल्द्वानी से ब्लड लाए तब जाकर बच्चे को चढ़ाया गया।

जानकारी के मुताबिक सोमेश्वर क्षेत्र के घनश्याम भाकुनी के डेढ़ महीने के बेटे कार्तिक को सांस लेने में दिक्कत हुई थी। 14 दिन पहले वह उसे लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसे बेस अस्पताल में भर्ती किया। उसके शरीर में खून की कमी मिली। चार दिन पहले उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया। 

डॉक्टर ने खून की जरूरत बताई लेकिन मेडिकल कॉलेज और बेस अस्पताल में ब्लड बैंक न होने से उसे खून नहीं मिल सका। घनश्याम ने खून के लिए जिला अस्पताल की दौड़ लगाई लेकिन मायूसी हाथ लगी। अस्पताल में भी ए पॉजिटिव ग्रुप का खून नहीं था। इस पर पिता को हल्द्वानी दौड़ना पड़ा। वह खराब मौसम के बीच शाम चार बजे किसी तरह हल्द्वानी के लिए रवाना हुए। रातों-रात खून लेकर लौट भी आए। आधी रात को बच्चे को खून चढ़ाया गया और तब जाकर उसकी जान बच सकी। इस व्यवस्था ने स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के सभी दावों के खोखलेपन की पोल खोलने का काम किया है।

12 बजे रिपोर्ट आई पर शाम को बताया

बीमार बच्चे के पिता ने आरोप लगाया है कि मासूम की खून जांच की रिपोर्ट दोपहर 12 बजे ही आ गई थी लेकिन चिकित्सकों ने खून की जरूरत के संबंध में नहीं बताया। हालांकि खून की कमी बताई गई पर खून चढ़ाने को लेकर जानकारी नहीं दी गई। शाम करीब चार बजे खून मंगवाया गया। मेडिकल कालेज में खून नहीं होने पर उन्हें जिला अस्पताल जाना पड़ा।

जिला अस्पताल में भी खून नहीं था।

दम तोड़ती उम्मीद

मेडिकल कॉलेज और इसके अधीन बेस अस्पताल में बेहतर उपचार की उम्मीद दम तोड़ रही है। हालात यह हैं कि संचालन के दो साल बाद भी 370 करोड़ रुपये के मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक तक स्थापित नहीं हो सका, जिसकी कीमत मरीज चुका रहे हैं।

मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक चलाने के लिए नहीं मिल रहे विशेषज्ञ

मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक बनकर तैयार हो गया है। करोड़ों की लागत से मशीन खरीदी गईं हैं लेकिन इसे संचालित करने के लिए विशेषज्ञ नहीं मिल रहे। कॉलेज प्रबंधन से के अनुसार इसके संचालन के लिए जरूरी एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर और एक असिस्टेंट प्रोफेसर की तैनाती होनी है। कई बार इसके लिए विज्ञप्ति जारी की गई है। बावजूद इसके अब तक किसी ने भी यहां तैनाती नहीं ली है। इन हालातों में अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती कर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर करने के दावे हो रहे हैं।

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