SRO चीफ ने Pragyan Rover को लेकर दिया ताजा अपडेट, बताया कब लांच होगा Aditya L-1 और Gaganyaan Mission

Chandrayaan-3 Landing Update: इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि इसरो ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को क्यों चुना.

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने गुरुवार को प्रज्ञान रोवर और इसकी कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी. सोमनाथ ने बताया कि प्रज्ञान रोवर के पास दो उपकरण हैं, दोनों चंद्रमा पर मौलिक संरचना के निष्कर्षों के साथ-साथ रसायनिक संरचनाओं से संबंधित हैं.इसके अलावा यह सतह पर चक्कर लगाएगा. हम एक रोबोटिक पथ नियोजन अभ्यास भी करेंगे जो हमारे लिए भविष्य के खोजों के लिए महत्वपूर्ण है. चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को चुनने के सवाल पर इसरो प्रमुख ने कहा कि हम दक्षिणी ध्रुव के करीब चले गए जो लगभग 70 डिग्री है. सूर्य की रोशनी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर काफी कम पड़ती है. मून मिशन पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने दक्षिणी ध्रुव में बहुत रुचि दिखाई क्योंकि वहां कई जानकारी मिल सकती है.जानकारी हासिल करने के बाद हम उससे आगे की यात्रा करना चाहते हैं. इसलिए हम सबसे अच्छी जगह की तलाश कर रहे हैं और दक्षिणी ध्रुव में वह क्षमता है.

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने यह भी बताया कि सूर्य के लिए आदित्य मिशन सितंबर में लांच के लिए तैयार हो रहा है. गगनयान पर अभी भी काम चल रहा है. हम क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए संभवतः सितंबर या अक्टूबर के अंत तक एक मिशन करेंगे, जिसके बाद कई परीक्षण मिशन होंगे जब तक कि हम संभवतः 2025 तक पहला मानव मिशन नहीं कर लेते. चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि मन पर क्या बीती, इसका वर्णन करना बहुत कठिन है. यह खुशी हो सकती है, यह उपलब्धि का सार हो सकता है और योगदान देने वाले सभी लोगों को धन्यवाद देना हो सकता है.

वहीं, भारत के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से प्रसन्न भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों की पगार विकासित देशों के वैज्ञानिकों के वेतन का पांचवां हिस्सा है और शायद यही कारण है कि वे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए किफायती तरीके तलाश सके. नायर ने अन्य देशों की तुलना में बेहद कम कीमत वाले साधनों के जरिए अंतरिक्ष में खोज के भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के इतिहास के बारे में ‘पीटीआई-भाषा’’ से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘ इसरो में वैज्ञानिकों, तकनीशियनों और अन्य कर्मियों को जो वेतन भत्ते मिलते हैं वे दुनिया भर में इस वर्ग के लोगों को मिलने वाले वेतन भत्तों का पांचवा हिस्सा है. इसका एक लाभ भी है.

उन्होंने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों में कोई भी लखपति नहीं है और वे बेहद सामान्य जीवन जीते हैं. नायर ने कहा, ‘‘ हकीकत यह है कि वे धन की कोई परवाह भी नहीं करते, उनमें अपने मिशन को लेकर जुनून और प्रतिबद्धता होती है. इस तरह हम ऊंचा मुकाम हासिल करते हैं.

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