मुंबई दौरे पर जाएंगे पीएम मोदी, IOC के 141वें सेशन का करेंगे उद्घाटन

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आईओसी सत्र में ओलंपिक खेलों के भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण फैसले किए जाते हैं। भारत 40 साल के बाद दूसरी बार आईओसी सत्र की मेजबानी कर रहा है। इससे पहले 1983 में नयी दिल्ली में आईओसी के 86वें सत्र का आयोजन किया गया था।



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मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शनिवार को एक दिन के मुंबई दौरे पर जाएंगे। इस दौरान वह मुंबई के जियो वर्ल्ड सेंटर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के 141वें सत्र का उद्घाटन करेंगे। बता दें कि आईओसी का सत्र, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के सदस्यों की एक महत्वपूर्ण बैठक होती है। आईओसी के सत्र में ओलंपिक खेलों के भविष्य से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं। भारत दूसरी बार और लगभग 40 वर्षों के अंतराल के बाद आईओसी के सत्र की मेजबानी कर रहा है। आखिरी बार आईओसी का 86वां सत्र 1983 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।

भारतीय ओलंपिक संघ सहित विभिन्न खेल महासंघों के प्रतिनिधि होंगे शामिल 

भारत में आयोजित होने वाला आईओसी का 141वां सत्र वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने, खेलों में उत्कृष्टता का उत्सव मनाने और मैत्री, सम्मान एवं उत्कृष्टता के ओलंपिक के आदर्शों को आगे बढ़ाने के प्रति देश के समर्पण का प्रतीक है। यह सत्र खेलों से संबंधित विभिन्न हितधारकों के बीच बातचीत और ज्ञान साझा करने का अवसर प्रदान करेगा। इस सत्र में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष श्री थॉमस बाख तथा आईओसी के अन्य सदस्यों के साथ-साथ भारतीय खेल जगत की प्रमुख हस्तियां और भारतीय ओलंपिक संघ सहित विभिन्न खेल महासंघों के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे।

शुक्रवार को दिल्ली में पी-20 सम्मेलन का किया था उद्घाटन 

वहीं इससे पहले शुक्रवार को पीएम मोदी ने दिल्ली में पी-20 सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने भारतीय लोकतंत्र और संसदीय प्रक्रियाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा-‘भारत में हम लोग आम चुनाव को सबसे बड़ा पर्व मानते हैं। 1947 में आज़ादी मिलने के बाद से अब तक भारत में 17 आम चुनाव और 300 से अधिक विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव ही नहीं कराता बल्कि इसमें लोगों की भागीदारी भी बढ़ रही है। देशवासियों ने मेरी पार्टी को लगातार दूसरी बार विजयी बनाया है। 2019 का आम चुनाव मनाव इतिहास की सबसे बड़ी मानव कसरत थी। इसमें 60 करोड़ वोटर ने हिस्सा लिया। तब भारत में 91 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे, जो पूरे यूरोप की कुल आबादी से अधिक है। यह दिखाता है कि भारत में लोगों का संसदीय प्रक्रियाओं में कितना भरोसा है।’