उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की तैयारी, 6 फरवरी 2024 को हो सकता है प्रस्तुत

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उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी की सरकार 6 फरवरी 2024 को समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक विधानसभा में पेश कर सकती है। मुख्यमंत्री धामी ने 5 फरवरी से 8 फरवरी 2024 तक उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कहा है कि उत्तराखंड UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा।



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उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी की सरकार 6 फरवरी 2024 को समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक विधानसभा में पेश कर सकती है। मुख्यमंत्री धामी ने 5 फरवरी से 8 फरवरी 2024 तक उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कहा है कि उत्तराखंड UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि उत्तराखंड विधानसभा में इस विशेष सत्र के दूसरे दिन यानी 6 फरवरी को UCC विधेयक पेश किया जाएगा। इसके बाद इस पर चर्चा होगी। विधेयक पेश होने से पहले इसे उत्तराखंड की कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। उत्तराखंड सरकार में मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने भी 6 फरवरी को UCC लाए जाने की पुष्टि की है।

मुख्यमंत्री धामी ने मीडिया से बात करते हुए बताया था कि राज्य में UCC कानून का ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी 2 फरवरी 2024 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में बनाई गई है। पाँच सदस्यों वाली इस कमेटी का गठन मई 2022 में गठित गया था।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सोमवार (29 जनवरी 2024) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, “समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित कमेटी 2 फरवरी को ड्राफ्ट प्रदेश सरकार को सौंपेगी। हम देवभूमि उत्तराखण्ड के मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए संकल्पित हैं।

गौरतलब है कि उत्तराखंड में लम्बे समय से UCC लागू की बात चल रही है। भाजपा ने उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में भी UCC को अपने मैनिफेस्टो में शामिल किया था। राज्य में सरकार बनने के तुरंत बाद मई 2022 में कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को नवम्बर 2022 में अपनी रिपोर्ट देना था, लेकिन इसकी तारीख आगे बढ़ती रही।

उत्तराखंड में UCC लागू करने से लोकसभा चुनावों में भाजपा को इसका लाभ मिल सकता है। UCC को लागू करने के लिए उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य को पहले चुना गया है। उत्तराखंड के बाद भाजपा इसे अन्य राज्यों में भी लागू करने पर विचार कर सकती है। केन्द्रीय स्तर पर भी इसको लेकर चर्चा चलती आई है।

क्या समान नागरिक संहिता (UCC)

समान नागरिक संहिता के अंतर्गत पर्सनल कानून अर्थात विवाह, तलाक, सम्पत्ति का बँटवारा और विरासत जैसे मुद्दे आते हैं। अलग-अलग धर्मों में इन मुद्दों को सुलझाने के लिए अलग-अलग कानून हैं। जहाँ देश की हिन्दू आबादी पर हिन्दू कोड बिल (हिन्दुओं के यह मुद्दे सुलझाने के लिए लाए गए कानून) लागू होते हैं तो वहीं मुस्लिमों में उनका निर्धारण शरियत कानून से होता है। ऐसे में कई बार विवादपूर्ण स्थिति पैदा होती है।