कोटद्वार में गैस कालाबाजारी का बाजार गर्म
कोटद्वार में गैस कालाबाजारी का बाजार गर्म
कोटद्वार में रसोई गैस का काला कारोबार, गैस एजेंसी संचालक और सप्लायर बने हमजोली
मनोज नोडियाल
कोटद्वार। कोटद्वार में लॉकडाउन के दौरान से रसोई गैस में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले। वर्तमान में रसोई गैस की मूल्यवृद्धि ने सभी के होश उड़ा कर रख दिए चाहे वह संपन्न परिवार हो मध्यम परिवार हो या फिर निर्धन परिवारों का तो भगवान ही मालिक है। लगातार रसोई गैस और तेल के मूल्यवृद्धि ने रसोई का खाने का स्वाद ही बिगाड़ कर रख दिया। लेकिन कोटद्वार के गैस एजेंसी संचालक और सप्लायरों ने इस रसोई की कड़वाहट में करेले पर नीम चढ़ने का काम किया है। बताते चलें कि कोटद्वार के गैस संचालकों और सप्लायर तथा पूर्ति विभाग से लेकर बाट माप विभाग व प्रशासन की ढिलाई का फायदा उठाते हुए रसोई गैस के संचालक किस प्रकार कोटद्वार और पौड़ी जिले के ग्राहकों को खुलेआम लूट रहे हैं वह हैरतअंगेज है। कोटद्वार के गैस संचालकों और सप्लायरों की मिलीभगत का एक ऐसा ही उदाहरण कोटद्वार में देखने को तब मिला जब वार्ड नं 32 शिवराज पुर के उपभोक्ता आलोक रावत ने गैस तो कोटद्वार गैस एजेंसी मोटाढांक से बुक कराई लेकिन गैस सप्लाई करने पहुंच गई कोटद्वार की एक निजी गैस एजेंसी। जिसके द्वारा आलोक रावत को दो सिलेंडर 1620 रूपए में घर पहुंचा कर दिए गए। आलोक रावत द्वारा जब सिलैंडर तोला गया तो उनके होश उड़ गए क्योंकि दोनों सिलैंडर का वजन 5 से 4 किलो कम पाया गया। जब इसकी शिकायत मोटाढांक स्थित इंडेन गैस एजेंसी पर की गई तो गैस एजेंसी संचालक ने बताया कि सप्लाई करने वाला वाहन उनका नहीं है।रावत द्वारा इस मामले की शिकायत उपजिलाधिकारी कोटद्वार,जिला पूर्ति अधिकारी पौड़ी तथा बाटमाप विभाग कोटद्वार को भी दी है। इसके बाद आलोक रावत ने इसकी सूचना लोकसंवाद टुडे को दी। लोक संवाद टुडे ने अपने ख़बरों के अपने पोस्ट मार्टम में पाया कि सप्लाई करने वाला वाहन कोटद्वार के ही गैस एजेंसी संचालक का है। मजेदार बात यह है कि कोटद्वार की निजी गैस एजेंसी ने किस नियमावली के तहत गढ़वाल विकास मंडल निगम द्वारा संचालित गैस एजेंसी के उपभोक्ता को गैस दे दी ।बात यहीं खत्म नहीं हो जाती गैस सप्लाई करने वाली एजेंसी के सप्लायर द्वारा उपभोक्ता को न तो क्रय करने की रशीद दी और न हीं वजन करके उपभोक्ता को गैस दी। जब इस घालमेल का पूर्ती अधिकारी से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि घटतोली का मामला उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता। लेकिन सिलैंडर सप्लाई में हुई घालमेल की जांच शिकायत मिलने पर करने का आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लिया। वहीं बाट माप इंस्पेक्टर आलोक गुप्ता ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि घटतोली में कठोर कार्रवाई के तहत 25 हजार रूपए तक का जुर्माना और लाइसेंस निरस्त तक की कार्रवाई की सकती है। देखना यह है कि जिम्मेदार विभाग इस प्रकार के घालमेल से गरीब और जरूरतमंद उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने में सक्षम हो पाएगा या नहीं………?
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