घर-घर की कहानी कहता है उर्मिला शिरीष का उपन्यास ‘चाँद गवाह’
'चाँद गवाह' में उर्मिला शिरीष ने स्त्री मुक्ति, स्त्री सशक्तीकरण, स्त्री की सृजनात्मकता, स्त्री समानता…
'चाँद गवाह' में उर्मिला शिरीष ने स्त्री मुक्ति, स्त्री सशक्तीकरण, स्त्री की सृजनात्मकता, स्त्री समानता…
दो दिवसीय लोकनाट्य एवं सांस्कृतिक उत्सव के अंतिम दिन कलाकारों ने झूमर, समा चकेवा, झिझिया,…