रुद्रपुर कॉलेज के कुमाऊं विवि का कैंपस बनने का इंतजार हुआ लंबा
रुद्रपुर। सरदार भगत सिंह डिग्री कॉलेज के कुमाऊं विवि का नया परिसर बनने का इंतजार लंबा होता नजर आ रहा है। एक साल पहले उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने रुद्रपुर कॉलेज को परिसर बनाने की घोषणा की थी। एबीवीपी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से रुद्रपुर कॉलेज को शीघ्र कुमाऊं विवि का नया परिसर बनाने की मांग की है।
कुमाऊं विवि के अधीन रहे एसएसजे कॉलेज अल्मोड़ा को अब विश्वविद्यालय का दर्जा मिल चुका है लेकिन अभी तक रुद्रपुर डिग्री कॉलेज कुमाऊं विवि का परिसर तक नहीं बनाया गया है।
इस कारण छात्र-छात्राओं को विवि से संबंधित सभी कार्यों के लिए नैनीताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं जबकि छात्र-छात्राएं वर्तमान शिक्षा सत्र में ही कॉलेज को परिसर का दर्जा मिलने की उम्मीद लगाए हुए थे।
एबीवीपी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राहुल गुप्ता ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने रुद्रपुर कॉलेज को कुमाऊं विवि के परिसर का दर्जा दिलाने की घोषणा की थी जो अब तक पूरी नहीं हुई। कहा कि ऊधमसिंह नगर जिले में सबसे अधिक जमीन रुद्रपुर डिग्री कॉलेज के पास है। उन्होंने कहा कि सीएम धामी को इस संबंध में ज्ञापन देकर कॉलेज को शीघ्र परिसर का दर्जा दिलाने की मांग की थी। इसके बाद सीएम के संज्ञान लेने के बाद उनके निजी सचिव ने इस पत्र को उच्च शिक्षा विभाग को भेजकर त्वरित कार्यवाही करने के लिए कहा है। प्राचार्य डॉ. केके पांडेय ने बताया कि अभी रुद्रपुर कॉलेज को कुमाऊं विवि का परिसर बनाने से संबंधित में अधिकृत सूचना नहीं मिली है।
कैंपस का दर्जा मिलने से शुरू होंगे नए संकाय
रुद्रपुर। एसबीएस कॉलेज को कुमाऊं विवि के परिसर का दर्जा मिलने से कॉलेज में नए संकाय खुलने के साथ नए विषय भी शुरू होंगे। कॉलेज विधि संकाय खुलने से एलएलबी के छात्र-छात्राओं को सुविधा होगी। इसके साथ ही एमएड, एमबीए, बीएससी कृषि, माइक्रोबायॉलोजी व एमए संस्कृत आदि कई विषय शुरू हो सकेंगे। इससे छात्र-छात्राओं को इन विषयों की पढ़ाई के लिए दूसरे जिलों के कॉलेजों में प्रवेश नहीं लेना पड़ेगा। इसके साथ ही कॉलेज अपनी परीक्षाएं स्वयं आयोजित कर सकेगा। संवाद
रुद्रपुर। एसबीएस कॉलेज को कुमाऊं विवि के परिसर का दर्जा मिलने से कॉलेज में नए संकाय खुलने के साथ नए विषय भी शुरू होंगे। कॉलेज विधि संकाय खुलने से एलएलबी के छात्र-छात्राओं को सुविधा होगी। इसके साथ ही एमएड, एमबीए, बीएससी कृषि, माइक्रोबायॉलोजी व एमए संस्कृत आदि कई विषय शुरू हो सकेंगे। इससे छात्र-छात्राओं को इन विषयों की पढ़ाई के लिए दूसरे जिलों के कॉलेजों में प्रवेश नहीं लेना पड़ेगा। इसके साथ ही कॉलेज अपनी परीक्षाएं स्वयं आयोजित कर सकेगा। संवाद
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