बजट 2024: GST कानून की समीक्षा और “एक देश-एक कानून” के विजन पर एकीकृत लाइसेंस प्रणाली की मांग

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एक फरवरी को लोकसभा में केंद्र सरकार का अंतरिम बजट प्रस्तुत किया जाएगा। राष्ट्रीय व्यापार संघों ने इस बजट से बहुत कुछ उम्मीद की है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने अंतरिम बजट के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अनुरोध किया है कि बजट में देश के व्यापारी वर्ग को विशेष प्राथमिकता दी जाए। जीएसटी प्रणाली को सरलीकृत करने के लिए जीएसटी कानून की नवीनतम समीक्षा की जाए।

व्यापारियों के लिए ऐसा कानून हो, जिससे आम व्यापारी भी आसानी से पालन कर सके। कैट ने वित्त मंत्री से मांग की है कि PM मोदी के ‘एक देश-एक कानून’ अभियान पर भी कारोबार किया जा सके। इसके अलावा, कैट ने कहा कि क्रेडिट डेबिट कार्ड के बैंक शुल्क को लेकर, सरकार को सीधे बैंकों को सहायता देनी चाहिए, ताकि व्यापारियों और ग्राहकों पर कोई बैंक शुल्क देने की जिम्मेदारी नहीं होगी। मौजूदा हालात में देश में एक डिजिटल भुगतान प्रोत्साहन बोर्ड भी बनाया जाए।

राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी कर प्रणाली वर्तमान में कठिन है। इसे ठीक करना बहुत जरूरी है। सरलता से जीएसटी का कर दायरा भी बढ़ेगा। केंद्रीय और राज्य सरकारों दोनों का राजस्व बढ़ेगा। कैट ने कहा कि जिला स्तर पर ही जीएसटी समस्याओं का समाधान होगा, इसलिए अधिकारियों और व्यापारियों की एक कमेटी बनाई जाए। जीएसटी का कर दायरा सिर्फ आपसी समन्वय से जिला स्तर पर बढ़ाया जाएगा। आय कर के लिए व्यापारियों को कंपनियों की तरह ही अलग स्लैब दें। व्यापार कानूनों की एक समीक्षा करें।

कैट के अधिकारियों ने कहा कि पुराने और अप्रासंगिक कानून समाप्त कर दिए जाएं। प्रधानमंत्री मोदी ने देश-एक कानून का विजन घोषित किया है, जो व्यापारियों को लाइसेंस देगा। आजकल व्यापार करने के लिए कई प्रकार के लाइसेंस आवश्यक हैं। केवल एक लाइसेंस प्रणाली की घोषणा होगी। अब बिना देरी के देश में ई-कॉमर्स कानूनों को लागू किया जाए। राष्ट्रीय रिटेल ट्रेड पालिसी भी तत्काल लागू होनी चाहिए। व्यापारियों को कम ब्याज दरों पर बैंकों से ऋण मिलने की व्यवस्था हो। ऋण व्यापारियों को पेंशन देने की मौजूदा व्यवस्था को बदलकर दोबारा लागू किया जाए।