क्या ‘आप’ को पहाड़ का रण जिता पाएगी कर्नल और उनकी युवा फौज?

क्या ‘आप’ को पहाड़ का रण जिता पाएगी कर्नल और उनकी युवा फौज?

देहरादून ।  साफ और ईमानदार छवि के सैन्य अधिकारी कर्नल अजय कोठियाल की राजनीति में एंट्री हो गई है। उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी के लिए आम आदमी पार्टी को चुना है और आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड में अपनी पैठ जमाने के लिए कर्नल को।आप का ये फैसला कितना कारगर साबित होगा ये तो चुनाव में ही पता चलेगा लेकिन फिलहाल आप को भरोसा है कि वो कर्नल कोठियाल पर दांव खेलकर जीत हासिल करेगी।

उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी आप को बेदाग छवि के चेहरे की जरूरत भी थी। आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कर्नल कोठियाल को राज्य में पार्टी के चेहरे के तौर पर ही पेश किया है। आपको बता दें कि कर्नल कोठियाल सेना में अपनी काबीलियत के लिए शौर्य व कीर्ति चक्र से नवाजे जा चुके हैं।

केदारनाथ आपदा के बाद पुनर्निमाण में कर्नल कोठियाल ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के प्राचार्य रहते हुए अहम भूमिका निभाई है। युवाओं में कर्नल कोठियाल काफी हिट हैं। उनकी ताकत उनकी युवा टीम को ही कहा जाता है। 2013 में केदारनाथ में आई आपदा के बाद विषम परिस्थितियों में भी केदारपुरी के पुनर्निर्माण कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाया था।

ऐसा नहीं है कि इससे पहले कोठियाल ने राजनीति में उतरने की कोशिश नहीं की। चर्चाएं कई बार चलीं और पिछले लोकसभा चुनाव से पहले उनकी भाजपा में उच्च स्तर पर वार्ताएं भी हुई। ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि वह भाजपा का दामन थामेंगे, मगर बात आगे नहीं बढ़ पाई।

आमतौर पर माना जाता है कि किसी पार्टी में कैडर के तौर पर शामिल होने पर संबंधित व्यक्ति को नए सिरे से शुरुआत करनी पड़ती है। कर्नल कोठियाल यदि पूर्व में भाजपा में शामिल होते तो उन्हें भी खासी मशक्कत करनी पड़ती। इस बीच आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड में सक्रियता बढ़ाई तो उसे सर्वमान्य, स्वच्छ और बेदाग चेहरे की तलाश थी। आम आदमी पार्टी ने अपने इस पैमाने पर कर्नल कोठियाल को एकदम सही पाया।

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