भारत की दिग्गज महिला टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा को उनके आखिरी टूर्नामेंट के पहले राउंड में ही हार का सामना करना पड़ा है। सानिया को दुबई ड्यूटी फ्री टेनिस चैंपियनशिप में महिला डबल्स के पहले राउंड में हार का सामना करना पड़ा।
सानिया मिर्जा को अपने आखिरी ग्रैंड स्लैम में हार का सामना करना पड़ा था। मिक्स्ड डबल्स के फाइनल में सानिया और रोहन बोपन्ना की जोड़ी 6-7, 6-2 के अंतर से हार गई। वह महिला डबल्स में दूसरे दौर में ही हारकर बाहर हो गईं थीं और मिक्स्ड डबल्स में फाइनल में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस हार के साथ ही सानिया का विजयी विदाई लेने का सपना टूट गया था।
ऑस्ट्रेलियन ओपन में मिक्स्ड डबल्स के फाइनल में ब्राजील की लुइसा स्टेफनी और राफेल माटोस की जोड़ी ने सानिया और रोहन को 6-7, 2-6 के अंतर से हराया था। फाइनल मुकाबले में हार के बाद बोलते हुए सानिया काफी भावुक हो गईं थीं और अपने आंसू नहीं रोक पाईं। हालांकि, जल्द ही उन्होंने खुद पर काबू पाया और अपनी बात पूरी की।
सानिया ने अपने करियर में 43 डबल्यूटीए खिताब जीते। उन्होंने महिला डबल्स कैटेगरी में तीन ग्रैंड स्लैम भी अपने नाम किए। 2016 में वह ऑस्ट्रेलियन ओपन में भी महिला युगल चैंपियन बनीं थीं। सानिया ने मिक्स्ड डबल्स में भी तीन ग्रैंड स्लैम जीते हैं। 2009 में वह ऑस्ट्रेलियन ओपन में इस श्रेणी में खिताब जीती थीं। सानिया लंबे समय तक महिला युगल रैंकिंग में पहले स्थान पर रहीं। हालांकि, अपने करियर के आखिरी ग्रैंड स्लैम में वह जीत से एक कदम दूर रह गईं। अब उनके करियर का सुखद अंत नहीं हो पाया। हालांकि, अब वह महिला आईपीएल या यूं कहें विमेंस प्रीमियर लीग में दिखेंगी। सानिया को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने मेंटर बनाया है।
सानिया के ग्रैंड स्लैम खिताब
मिक्स्ड डबल्स: ऑस्ट्रेलियन ओपन (2009)
मिक्स्ड डबल्स: फ्रेंच ओपन (2012)
मिक्स्ड डबल्स: यूएस ओपन (2014)
महिला डबल्स: विम्बलडन (2015)
महिला डबल्स: यूएस ओपन (2015)
महिला डबल्स: ऑस्ट्रेलियन ओपन (2016)
सानिया ने अपने नोट में लिखा था- 30 साल पहले हैदराबाद की एक छह साल की लड़की निजाम क्लब के टेनिस कोर्ट पर पहली बार अपनी मां के साथ गई और कोच ने बताया कि टेनिस कैसे खेलते हैं। कोच को लगा था कि टेनिस सीखने के लिए मैं बहुत छोटी हूं। मेरे सपनों की लड़ाई छह साल की उम्र में ही शुरू हुई। मेरे माता-पिता और बहन, मेरा परिवार, मेरे कोच, फिजियो समेत पूरी टीम के समर्थन के बिना यह संभव नहीं था, जो अच्छे और बुरे समय में मेरे साथ खड़े रहे। मैं उनमें से हर एक के साथ अपनी हंसी, आंसू, दर्द और खुशी साझा की है। उसके लिए मैं सभी का धन्यवाद देना चाहती हूं। आप सभी ने जीवन के सबसे कठिन दौर में मेरी मदद की है। आपने हैदराबाद की इस छोटी सी लड़की को न केवल सपना देखने की हिम्मत दी बल्कि उन सपनों को हासिल करने में भी मदद की। आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया।
सानिया ने लिखा- काफी उम्मीदों के साथ जब काफी विरोध हो रहा था, मैंने ग्रैंड स्लैम खेलने का सपना देखा था और स्पोर्ट के सर्वोच्च स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखा था। अब जब मैं अपने करियर को पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे लगता है कि न सिर्फ मैंने ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट का अर्धशतक लगाया बल्कि उनमें से कुछ जीतने में भी कामयाब रही। देश के लिए मेडल जीतना मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान रहा है। पोडियम पर खड़ा होना और दुनिया भर में तिरंगा का सम्मान होते देखना मेरे लिए सम्मान की बात रही है। मैं जब यह लिख रही हूं तो मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं और मेरी आंखों में आंसू है।